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________________ अध्यात्ममतपरीक्षा. टीकायां" ए आचार्यना मतेकरी अमे सिघना गुणोमां चारित्रनी गणना करीने. ए मत जे जे ते पूर्वमतथी विरु६ डे माटे अप्रमाणज. एम कहेवू नही. केमके, अविजिनपरंपराएं आवेलां जे ए बे मत, ते अनतिशय पुरुषथकी निवारण थाय नही. जो कहेशो के, एक एकनी युक्तिनी समर्थना करतां प्रत्येकमां दोष आवशे, एवो विचार पण न करवो. केमके, जिनवचनकपर अरुचि थयाविना सम्यक्तनो बंश थतो नथी.॥ १५५ ॥ तेसिं सवा किरिआ, सहावसिक्षा पण कम्माणं॥ बहंपि कारगाणं, एगठे समावेसो ॥ १५६॥ व्या ते सिध्ने सर्व क्रिया स्वनावसिम ले, एक पण विनाव क्रियानथी. के मके, कर्मरहित सिने न कारक एक अर्थे विश्रांति पामेले. ते कहेजेः- कथंचित झानथी अन्यथा अत्माज्ञप्तिक्रिया स्वतंत्रपणे करे. माटे आत्मा जे जे तेज कर्ता बे, ए पहेलुं कर्त्तानामा कारक ज्ञप्ति किया स्वतंत्र अात्मानेविषे प्राप्यमाण ले, मा टे तेज प्रात्मरूप कर्म के; ए बीजुं कर्मनामा कारक जेणे करीने ज्ञानस्वनावथी तथा ज्ञप्तिस्वनावे आत्मा क्रिया करे , तेज आत्मरूप करण होवाथी आत्माज कर्ता डे एम जाणवू. ए त्रीजुं करणनामा कारक जे स्वानुफलवेद्यने अर्थे या त्मा कृप्तिक्रिया करेजे, तेज आत्मरूप संप्रदान ले; ए चोयुं संप्रदाननामा कार क जे पूर्वज्ञेयाकारने विश्लेषे उत्तरझेयाकारमिश्रित ज्ञानस्व नाव आत्मा नजेले, तेज आत्मस्वनावरूप अपादान बे. ए पांचमुं अपादाननामा कारक तथा जे झा नरूपगुणनुं नाजन जे आत्मानामे इव्य तेज आधार वे एम जाणवू; ए बहुं आधारनामा कारक कह्यु ए ज्ञान आश्रीन कारक कह्या, एमज सर्व बीजा धर्मों आश्री जाणी लेवु.॥ ५५६ ॥ ते पुण पनरस नेआ, तिनातिबाय सिचनेएणं॥ तब श्यीणं सिद्धिं, ण खमा खवणो अनिणिवेसी॥१५॥ ___ व्या० ते सिमना पंदर नेद कह्याने, यतः तीर्थसिह, अतीर्थसिह, तीर्थकर सिह, अतीर्थकरसिह, स्वयंबुझिसिह, प्रत्येकबुझिसिह, बुधबोधितसिह, स्त्रीलिंग सि६, पुरुषलिंगसिह, नपुंसकलिंगसिक्ष, स्वलिंगसिक, अन्यलिंगसिह, गृहलिंगसि ६, एकसिम, तथा अनेकसिह. हवे एनो अर्थ करे तीर्थ एटले जे चतुर्विध संघ, अथवा प्रथम गणधर उत्पन्न थया पनी जे सिक्ष थया ते तीर्थसिक्ष; तीर्थनी नत्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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