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स्तोत्र.
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जि रयश्रीनाजि न प्रनवति प्रबलापि ॥ १७ ॥ इति श्रीवर्धमाननिर्वाणकल्याण कस्तवनं समाप्तम् ॥
॥ अथ श्रीअरिनाथस्तवनप्रारंनः ॥ जय शरदशकलदशहयवदन जय हतजगदसहनमदमदन ॥ जय नतशमगतश मनजकदन जयनगवदरपरमपदसदन ॥ १ ॥ गतमलकमलसकलकरचरण जननमरणनवनयनरहरण ॥ रचय चरणरसनशबलस्वन मनवमसनवमरसरम वचन ॥ २ ॥ नवरचनरतदशशतनयन नयवनजलदजलजदलनयन ॥ फलद कलकलयजयकरयजन नमदशमपहरशममननजन ॥ ३ ॥ अमरफलदपदहर पदकमल गजकरसरलसबलकरयमल ॥ जनयसनयमतनतजनसकल मतफ लमपमलकलमलमकल ॥ ४ ॥ नयमयवचनपवनसमवमत परमत लमनसमत ॥ शमदमयमसमरसरमसमय नवपतनजनयमज मम शमय ॥५॥ घनखकनकशकलघनवरन मदकलकरणकलनजयशरन ॥ शरणदचरणनरकदर शमन सदयमदघमफलयगजगमन ॥ ६ ॥ नतशतमखतमखलजनमदर ग मयपरमपदमनयदसदर ॥ नवनवनववननवदशमगम शकलनगजकलगलदन वगम ॥ ७ ॥ तमचयमपनयतपमहतपन परसमयजरजहरपदजपन ॥ समज नदमनकमनगजकरट दलनसबलतमहतमदचरट ॥७॥ मदनयनगमशरणन रशरण गतरणसदवतरणवरकरण ॥ परसहचरसमरसजगदवन समवसरण रमदहमहनवन ॥ ए॥ सततमचरचरजगदवगमक मननजनकथनतरतमशम क॥ परपदनगरगमनरणरणक मफलदशमसफलयपथनणक ॥ १० ॥ रसजर लसदनलसनमदमन नवनपवनचरनरयतसमर ॥ दलयबहलमलमरवरवशत मतरतनरशतगतपरवशत ॥११॥ कपटशकटजलशयसमनवक जनमवगमय समयरसमवक ॥ गदगजरणफणधरदकदहन धनहरमरकजदरहरमहन ॥१२॥ समतसतमहपरमतकलस गणधरगणधरशमरसकलस ॥ नवदनवदपदलयलस दवम वनमवनमयसहनमहनवम ॥१३॥ एवं श्रीधरतीर्थराज तव यो कुक मरोगविदा कामः केवलवर्णसंस्तवसुधास्वादं विधत्ते सुधीः ॥ श्रेयो वा न जरामर वपदवीसौख्यानि बाह्यंतरा मित्राली जय सुंदरः स नियत शिश्रीयते मानवः॥१४॥ इति केवलाक्रमयं श्रीधरनाथस्तवनं संपूर्ण ॥
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