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________________ स्तोत्र. ॥ मुरजबंध ॥ गीरतारजतार धीरता स्थिरतारसा ॥ सारतारश्रुतावंध्या सुरता जन तावकी ६ ॥ गोमूत्रिका ॥ पतितवेदास्यारविंदं नक्किबंधुराः ॥न पतंति नवे शस्यास्ते विदो भगवन्नराः ॥७॥ ॥ सर्वतोभय ॥ २६६ नमासररसामान मारिताददतारिमा साता मया यामतासारयाममयाक्षरं ॥ रथपदं ॥ तिर्यङ्नर सुराकीर्णा नासते ननते सना ॥ त्वमाहात्म्यात् कृताश्वर्ये याश्रिता ततता श्रिया ॥ ए ॥ ॥ व्यतरपाद ॥ रैगोरांगोरुगीगंगा गौरीगुरुररोगरुक् ॥ गोरंगा गाररोगारि रैरिरो रैगुरुं गिरिं ॥ १० ॥ ॥ एकाक्षरपाद || जाजनानोलजीलानं तततात तितातते ॥ ममाममामममुमा ननाने नोननानन ॥ ११ ॥ ॥ एकाकर श्लोक ॥ aria arnata: केकाकोककके किक ॥ rantaratha ककुः कौकोंककांककं ॥ १२ ॥ ॥ संयोग ॥ मरुभूमौ तपताविव चारुसरोवरं ॥ कुतः सुकृतहीनानां सुलनं तव शासनं ॥ १३ ॥ युग्मं ॥ ॥ धान्यां खड्ड संदानितकं ॥ सारणि: पुरयवन्याया न्यायमौक्तिकशुक्तिका ॥ कामधेनुर्नयविदां बंधोल्लासन लालसा ॥ १४ ॥ सारं स्याद्वादमुझयास्त्रिपदी नवतोऽअसा ॥ सा मेऽस्तु हृदि कां तैका खिलेन रहितेन सा ॥ १५ ॥ ॥ मुसलं ॥ Jain Education International श्री सिद्धार्थ कुज व्योम दिवाकर निरंजन ॥ कांतवा मतं तीर्थंकर तवाश्रिताः ॥ १६ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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