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________________ आस्तिक नास्तिक संवाद. រ ៥១ माटे एम कहे ते मूर्खता बेः दोहा, निज समर्थने जाणवा, कयुं ईश जग एह; कारण वादी जे कहे, शतमूरख ले तेहः १२ १५ नास्तिकः-- ईश्वरे पोतानुं सामर्थ्य बताववा सारु जगतनी उत्पत्ति करी ने एम जाणवू जोश्ये. आस्तिकः-- कोने बताववा सारु जगतनी उत्पत्ति करी? जीव अने जड प पार्थो तो ईश्वरेज उत्पन्न कस्या दे, एम तमे कहो डो. त्यारे बीजो कोण जगतनी प्रर्वे हतो के, जेने देखाडवा सारु ईश्वरे या जगतनी उत्पत्ति कर ले ! माटे ए वात पण असत्य ले. दोहा, बीजाने देखाडवा, पोतानुं सामर्थ्य; जग उपजा व्यु ईश्वरे, एम कहे ते व्यर्थ. १३ १६ नास्तिकः--जेम माणस सवारमा ती वस्त्रादिक पहेरीने प्रारीसामां पोतानु स्वरूप देखे जे; ते सारूं देखाय तो आनंदित थाय , तेम ईश्वर पण पोते पोतार्नु स्वरूप जोवासारु या जगतरूप शृंगार करी पोता रूप विस्तारीने देखे ; एम जाणवू जोश्ये. आस्तिकः-माणस पोतानुं रूप आरीसामा जुवे , तेनुं कारण ए के, मारु रूप सारुं देखाशे नही, तो लोको हाशी करशे: अथवा कोई खोड काहाडशे: तेम ईश्वरे बीजा कोना नययी पोताना रूपनो विस्तार कस्यो ? ईश्वरना जेवो बीजो ईश्वर कोई नही; त्यारे जोनारो कोण! माटे ए वात पण जूठी ले. दोहा, पोते जोवा आपने, रच्यो जगत आ ईश; कोना जयथी ते कहो, मतवादी तजि रोश. १५ १७ नास्तिकः-- "एक एव हि नूतात्मा, नूते नूते व्यवस्थितः: एकधा बदुधा चेव, दृश्यंते जल चंवत्" एवीरीते अात्मा एक बतां सर्व प्राणीमात्रमा जुदो जुदो दी वामां यावे : जेम चंमा एक बतां अनेक जलस्थानकोमा प्रतिबिंब रूपे जुदो जुदो दीवामां आवे जे: तेम ईश्वर एकज ने पण घट घटमां जुदो जुदो देखाय के एटले ईश्वर बिंबले ने सर्व जीव प्रतिबिंब : एम जाणवू. __ आस्तिकः-- जेम एक चश्माना अनेक प्रतिबिंबो दोय जे, ते जेवो चश्मा होय तेवा देखाय . तथा काचना नुवनमां एक मनुष्य बतां अनेक प्रतिबिंब रूपे दीवामां आवे . तेमां मूल आकृतिथी जुदी आरुति देखाती नथी. जेमके, बीजथी ते पूर्णिमासुधी गमे तेवी चश्मानी आकति होय, तेवो प्रतिबिंब देखाय ; तथा काच नुवनमां मनुष्यनी जेवी पारुति होय तेवीज तादृश्य दे खाय ले. काणो होय तो काणो देखाय, आंधलो होय तो अांधलो देखाय; वगैरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002166
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1876
Total Pages364
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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