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अनुक्रमणिका. ३५ श्री पंचकल्याणिकमय महावीर जिनस्तोत्र वृत्त बह लाटानुप्रासा
द्यनेक काव्य कलायुक्त .. .. .. . .. .. .. .. .. २६-२४ए ३६ श्रीमंत्र स्तोत्र अनुष्टुप्तृत्त ब६ परम रहस्यार्थ गर्मित मंत्ररूप --२५१ ३७ श्रीवईमानजिनस्तोत्र उपजातिवृत्तबह विविधालंकृत शब्द लालित्ययुक्त ए-२५१ ३७ श्री पार्श्वजिनस्तोत्र उपजाति वृत्त ब६ प्रतिपद पंचादर पुनरा
वृत्ति रूप सिंहावलोकन युक्त .. .. .. .. .. .. .. .. --२५१ ३॥ श्री पार्श्वजिनस्तोत्र उपजाति वृत्त ब६ पादांत समचतुरदर पुन
रावृत्तिरूप यमकालंकार युक्त .. .. .. .. .. .. .. .. --२५२ ४० श्री नंदीश्वर कल्प अनुष्टुप वृत्त बद्ध काव्यसरलत्व अर्थ गौरवयुक्त --२५२ ४१ श्री शारदास्तोत्र नपजातिवृत्त बम क्वचित् समपाद पुनरावृत्ति
क्वचित् विषमपाद पुनरावृत्तिरूप एक चतुर्पादरूप यम
कालकारयुक्त .. .. .. .. .. .. .. .. .. .. .. .. १३-२५४ ४२ श्री जिनसिंहसू रिस्तोत्र उपजाति वृत्त बम क्वचित् समपाद
पुनरावृत्ति क्वचित् विषम पाद पुनरावृत्ति एक चतुर्पादरूप
यमकालंकार युक्त.. .. .. .. .. .. .. .. .. .. .. १३-१५५ ४३ श्री पंच नमस्कृति स्तोत्र अनुष्टुप वृत्त बम अनुत आशय युक्त ३३--२५६ ४४ श्री वीरस्तोत्र अनुष्टुप वृत्त बम प्रत्येक पद्ये सम समपाद पुनरावृत्ति
रुप यमकालंकार युक्त .. .. .. .. .. .. .. .. .. १३--२५७ १५ श्री आदि जिनादि स्तोत्र अनुष्टुप् वृत्त बम प्रत्येक पद्ये सम स
मपाद पुनरावृत्तिरूप यमकालंकार युक्त . .. .. .. .. २७-२५७ ४६ श्री पार्श्वप्रातिहार्य स्तोत्र स्वागता वृत्त बम प्रत्येक पद्ये समसम
पाद पुनरावृत्तिरूप यमकालंकार युक्त .. .. .. .. .. १०-२५ए ४७ श्री कल्याण पंचक स्तोत्र वंशस्थ वृत्त बद साधारण काव्य रचना युक्त -२६० ४ श्रीवीर जिनस्तोत्र सहरण प्रयोगमय उपजाति वृत्त ब६ व्याकर
ना प्रयोगना मिशे जगवंतना लहाण नक्ति युक्त .. .. १७--२६० ४ए श्री वीतराग स्तोत्र उपजाति वृत्त बद क्वचित् पादांतगत कचित्
पादांतस्थले दयादि अदरावृत्तिरूप यमकालंकार युक्त .. १६-२६१ ५० श्रीचंप्रनस्वामि स्तोत्र अनुष्टुप वृत्त ब६ सम समपाद पुनराव
तिरूप यमकालंकार युक्त .. .. .. .. .. .. .. .. ४-२६२ ५१ श्रीषनदेव स्तोत्र आदि वृत्त बम विविध नाषा रचना चम
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