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________________ एएर प्रकरणरत्नाकर नाग पहेलो. अर्थः-प्रज्ञा, विषना, सेमुषी, धी, मेधा मति, बुद्धि, सुरति, मनीषा, चेतना, आशय, अंश विशुद्धि कहिये ॥४३॥ अथ विचक्षण पुरुषके नामः॥दोहा॥-निपुन विचछ विबुध बुध, विद्याधर विधान; पटु प्रवीन पंमित चतुर, सुधी सुजन मतिमान. ॥ ४ ॥ कलावंत कोविद कुशल, सुमन दद धीमंत; ज्ञाता सजान ब्रह्मविद्, तत्त्वज्ञ गुनीजन संत. ॥ ४५ ॥ अर्थः-निपुण, विचक्षण, विबुध, बुध, विद्याधर, विद्वान, पटु, प्रवीण, पंमित, च तुर, सुधी, सुजन अने मतिमान ॥४४ ॥ कलावान, कोविद, कुशल, सुमन, दक्ष, धीमंत, ज्ञाता, सजान, ब्रह्मविद्, तत्त्वज्ञ, गुणीजन अने संत ॥ ४५ ॥ अथ मुनीश्वरके नामः- ॥दोहा॥-मुनि महंत तापस तपी. निकुक चारितधाम; यती तपोधन संयमी, व्रती साधु रिषि नाम. ॥ ४६॥ अर्थः-मुनि, महंत, तापस, तपी, निकुक, चारित्रधाम, यति, तपोधन, संयमी, व्रती, साधु ए ऋषिनां नाम जाणवां. ॥ ४६॥ दर्शनके नामः॥दोहाः॥-दरस विलोकन देखनो, अवलोकन जिगचाल; लखन दृष्टि निरखन नु वन, चिंतवन चादन नाल ॥ ४ ॥ अर्थः-दर्शन, विलोकन, देखवू, अवलोकन, अगचालन, लखवू, दृष्टी, निरीक्षण, जोवं, चितवन, चाइन, ने जाल. ॥ ४ ॥ शुद्ध ज्ञान तथा चारित्रके नामः॥दोहाः॥-झान बोध श्रवगम मनन, जगतनान जगजान; संयम चारित आचरण, शरन वृति धिरवान ॥ ४ ॥ अर्थः-झान, बोध, अवगम, मनन, जगन्नानु, जगजान, संयम, चारित्र, आचरण, शरण, वृत्ति, धैर्यवान. ॥ ४ ॥ श्रथ साचके नामः॥दोहा॥-सम्यक् सत्य अमोघ सत, निसंदेह निरधार; ठीक यथारथ उचित तथ, मिथ्या श्रादिशकार ॥ ४ ॥ अर्थः-सम्यक्, सत्य, अमोघ, सत्, निःसंदेह, निर्धार, तीक, यथार्थ, उचित, तथ्य, मिथ्या श्रादि शब्दने श्रकार लगामीने बोलीये तो अमिथ्या शब्द थाय ते पण एनुं नाम जाणवू ॥ ४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002165
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1903
Total Pages228
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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