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श्री समयसारनाटक.
एए? धारी, कलाधारी, नेषधारी, विद्याधारी, अंगधारी, संगधारी, योगधारी, योगी, चिन्मय श्रखंग, हंस, श्रदर, श्रात्मराम, कर्मकर्ता, परमवियोगी कहिये. ॥ ३७॥
अथ श्राकाशके नामः-- ॥दोहराः॥-षं विहाय अंबर गगन, अंतरिद जगधाम; व्योम वियत् नन मेघपथ, ए श्राकाशके नाम. ॥ ३० ॥
अर्थः-खं, विहाय, अंबर, गगन, अंतरिक्ष, जगधाम, व्योम, वियत्, नन, मेघपथ, ए श्राकाशनां नाम. ॥ ३०॥
अथ कालके नाम. ॥दोहाः॥-यम, कृतांत, अंतक, त्रिदस, थावर्ती मृतथान; प्रानहरन, श्रादित तनय, कालनाम परमान. ॥ ३ ॥
अर्थः-यम, कृतांत, अंतक, त्रिदश, श्रावर्त्तिक, मृतस्थान, प्राणहरण, श्रादित्य तनय, एवां कालनां नाम बे. ॥ ३७॥
पुण्यके नाम यथा. ॥दोहाः॥-पुण्य सुकृत ऊरधवदन, अकर रोग शुज कर्म; सुखदायक संसारफल, जागबहीर्मुख धर्म. ॥ ४०॥
अर्थः-पुण्य, सुकृत, ऊर्ध्ववदन, अकररोग, शुजकर्म, सुखदायक, संसार फल, नाग, बहिर्मुख, धर्म, ए पुण्यनां नाम बे. ॥ ४० ॥
अथ पापके नाम यथा. ॥दोहाः॥-पाप अधोमुख एन अघ, कंप रोग उखधाम; कलिल कलुष किल विष पुरित, अशुज कर्मके नाम ॥४१॥
अर्थः-पाप, अधोमुख, एन, अघ, कंप, रोग, फुःखधाम, कलिल, कबुष, किविष, श्रने उरित, ए श्रशुज कर्मनां नाम जाणवां. ॥४१॥
अथ मोक्षके नाम. __॥दोहा॥-सिझनेत्र त्रिजुवन मुकुट, शिवमग अविचल थान; मोषमुगति वैकुंठशिव, पंचम गति निरवान ॥ ४२ ॥ __ अर्थः-सिझक्षेत्र, त्रिजुवनमुकुट, शिवमार्ग, अविचलस्थान, मोह, मुक्ति, वैकुंठ, शिव, पंचमगति भने निर्वाण ॥ ४२ ॥ ..
श्रथ बुझिके नाम यथा. ॥दोहा॥-प्रज्ञा विषना सेमुखी, धी मेधामति बुद्धि; सुरति मनीषा चेतना, आशय अंस विशुकि. ॥४३॥
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