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________________ एए प्रकरणरत्नाकर नाग पहेलो. अथ मोक्ष तत्त्व यथा. ॥दोहा॥-थिति पूरन करि जो करम, घिरे बंध पद जानि; हंस अंस उज्वल करै, मोद तत्त्व सो जानि. ॥ ३४ ॥ अर्थः-जे कर्मनी स्थितिने पूर्ण करीने कर्मने खेरे के दयकरी नाखे अने बंध पद के सत्तावन प्रकारे बंधस्थान तेने नानि के नांगीने हंस के परमात्माना अंसने क्रमे उज्वल करे तेज मोक्ष तत्व जाणवू. ॥ ३४ ॥ हवे कवित्त बंदमां पदार्थनी नाममाला एटले प्रयोजनवाला नामनी नाममाला लखी जणावे:___श्रथ नाममाला सूचनिका मात्र लिख्यते. अथ समुच्चय वस्तुके नाम. ॥दोहराः॥-जाव पदारथ समय धन, तत्त्व वित्त वसु दर्व; अविन अर्थ इत्यादि बहु, वस्तु नाम ए सर्व. ॥ ३५ ॥ अर्थः-प्रथम सामान्यपणे वस्तुनां नाम कहे. नाव, पदार्थ, समय, धन, तत्त्व, वित्त, वस्तु, अव्य, प्रवीण, अर्थ, इत्यादि घणां वस्तुनां नाम बे. ॥ ३५ ॥ अथ शुकजीव अव्यके नामःसवैया इकतीसाः॥-परमपुरुष परमेसुर परमज्योति, परब्रह्म पूरन परम परधान है; अनादि अनंत अविगत अविनाशि अज, निरकुंद मुकत मुकुंद अमलान है; निरा बाध निगम निरंजन निरविकार, निराकार संसार सिरोमनि सुजान है; सरव दरसी सरबा सिद्ध सांई शिव, धनी नाथ ईश जगदीश लगवान है. ॥ ३६ ॥ अर्थः-परमपुरुष, परमेश्वर, परमज्योति, परब्रह्म, पूर्ण, परमप्रधान, अनादिश्रनंत, अव्यक्त, अविनाशी, अज, निछ, मुक्ति, मुकुंद, अम्लान, निराबाध, निगम, निरं जन, निर्विकार, निराकार, संसार शिरोमणि, सुजान, सर्वदर्शी, सर्वज्ञ, सिक, स्वामी, शिव, धनी, नाथ, ईश, जगदीश, नगवान, कहीये. ॥ ३६ ॥ हवे कर्म व्याप्त अशुभ जीव अव्यना नाम कहे:-संसारी जीव अव्यके नाम. ॥सवैया श्कतीसाः॥-चिदानंद चेतन अलख जीव समैसार,बुद्धरूप श्रबुद्ध अशुद्ध उपयोगी है; चिदरूप स्वयंनू चिन्मूरति धरमवंत, प्रानवंत, प्रानि जंतु नूत नव नोगी है; गुनधारी कलाधारी नेषधारी विद्याधारी,अंगधारी संगधारी जोगधारी जोगी है; चिन्मय अखंग हंस श्रषर श्रातमराम, करमको करतार परम विजोगी है. ॥३॥ अर्थः-चिदानंद, चेतन, अलख, जीव, समयसार, बुद्धरूप, अबुझ, श्रशुझ, उपयोगी, चिकूप, स्वयंनू, चिन्मूर्ति, धर्मवंत, प्राणवंत, प्राणी, जंतु, नूत, नवनोगी, गुण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002165
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1903
Total Pages228
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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