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________________ उन प्रकरणरत्नाकर नाग पहेलो. है; छादशमो बीन मोह तेरहों सजोगी जिन, चौदहों अजोगी जाकी थिति अंक पंच है. ॥ १ ॥ दोहराः ॥-वरने सब गुन थानके, नाम चतुर्दश सार; अब बरनों मिथ्यातके नेद पंच परकार. ॥ २ ॥ अर्थः-प्रथम मिथ्यात, बीजो सास्वादन, त्रीजोमिश्र, चोथो अविरत, पांचमो रंच मात्र व्रत एटले देशवती, बठो प्रमत्त, सातमो अप्रमत्त, एवां नाम . आठमो अपूर्वकरण अथवा निवृत्ति बादर, ए बे नाम . ते ही सुखनो संचके० मिलाप बे. नवमो अनिवृत्ति बादर, दशमो सूक्ष्म लोन, अग्यारमो उपशांत मोह, आंही मोहनी वंचना एटले मोहथी बुटवू दे. बारमो वीण मोह कहीए, तेरमो सयोगी जिन, ते केवली थयो, चौदमो अजोगी जिन, जेनी स्थिति अ इ उ शलु ए पांच हख अकर जेटली . ॥ १॥ एम सर्व चउदे गुण स्थानना नामनुं सत्यार्थ वर्णन कीधुं ते शोने जे. हवे अनुक्रमे पहेला मिथ्यात्व गुणगणाना पांच प्रकारथी पांच नेद ते कडंडं. ॥ २ ॥ हवे पांच मिथ्यात्वनां नाम कदे:-श्रथ पंच मिथ्यावत्के नाम कथनः॥ सवैया श्कतीसाः ॥-प्रथम एकंत नाम मिथ्यात श्रनिग्रहीक, जो विपरित श्रनिनिवेसिक गोत है; तीजो विनै मिथ्यात अनानिग्रह नाम जाको, चोथो संसे जहां चित नोरकोसो पोत हे; पंचमो अज्ञान अनाजोगिक गहलरूप, जाके उदे चेतन अचेतनसो होत है; ए पांचो मिथ्यात जमावे जीवकों जगतमें, इन्ह के वि नास समकितको उदोत है.॥ ३॥ अर्थः-पांच मिथ्यात्वमा पेहेलु एकांत पदना ग्राही अनियहिक नामे मिथ्या त्व जे. बीजु मिथ्यात्व पेहेला मिथ्यात्वथी विपरित . तेनुं श्रनिनिवेसिक एवं गोत के नाम , त्रीजु विनय मिथ्यात्व, सर्वने पूजq ते , जेनु नामा अनानिग्रहिक ने, चो, संसयिक मिथ्यात्व ज्यां नमराना बचानी माफक, चित्त ब्रमण करतुं रहे, पांचमुं अज्ञान मिथ्यात्व, ए अनाजोगीक पणाश्री अजाणपणे एकेडियादिकमां ग हलरूपि . निजानी बाकनुं स्वरूपी वे. जेना उदयथी चेतन ते अचेतन थई र ह्युजे. जेना नाम लीधा ते एज पांचे मिथ्यात्व जीवने जगत्मां नमावे. ए पांचे मि थ्यात्वनो विनाश थएथी समकितनो उद्योत थाय ॥ ३॥ हवे एकांतवादी अनिग्रहीक मिथ्यात्वनुं लक्षण कहेजेः-श्रथ एकांत यथाः ॥ दोहराः ॥-जो कंत नय पक्ष गहि, बके करावे ददा, सो कंत वादी पुरुष मृषावंत परतद. ॥ ४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002165
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1903
Total Pages228
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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