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श्री समयसारनाटक.
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कड़े बे. अहो ! शिष्य ! एतो ब्रह्माद्वैतवादी मूढ मती बे, ते पोतानो धर्म जाए तो नी; अने पर वस्तु बे तेने आत्मा जाणे बे. एवा मिथ्यात्वथी ए दृढ कर्म बांधे बे. घने जगत्मां पोतानो धर्म खोवे बे. पोतानो स्वजाव गमावे बे. जे सम किती जीव होय तेतो "सोहं" बीजना ध्यानथी शुद्ध अनुजवनो श्रन्यास करे, तेथी आत्मतत्त्व जुडुंज पामे. अने पगले पगले परवस्तुनो त्याग करे, अने पोताना शुद्ध स्वभावमां श्राठे प्रदर मग्न रहे, तेथी ज्ञान धारामां वदेनारो मोह मार्गमां चालनारो कहेवाय बे ॥ ६॥
हवे सातमो एकांत नय जे ज्ञेय क्षेत्र प्रमाण ज्ञान तेनो प्रपंच कहि देखाडेढेःअथ सप्तम ज्ञेय क्षेत्र प्रमाण ज्ञान यह कथनः
॥ सवैया इकतीसाः ॥ - कोउ सब कहे जेतो ज्ञेयरूप परवान, तेतो ज्ञान ताते कहुं अधिक न और है; तिहूं काल पर बेत्र व्यापी परनयो माने, आपा न पि बाने ऐसी मिथ्या हग दौर है; जैन मती कहे जीव सत्ता परवान ज्ञान, यसों श्र व्यापक जगत सिर मोर है; झाकी प्रजामे प्रतिबिंबित विविध ज्ञेय, जदपि तथापि थिति न्यारी न्यारी गैर है ॥ ७ ॥
अर्थ- कोई मूर्ख एम कड़े बे के जेटलुं ज्ञेय वस्तुना श्राकाररूपनुं प्रमाण बे एटले ज्ञेयनुं जेटलुं एक नादानुं मोहोढुं प्रमाण बे, तेटलुं ज्ञाननुं प्रमाण बे; तेथी कंई वधारे बीजुं प्रमाण नथी. एम ज्ञानने त्रणे कालमां परक्षेत्र व्यापी ने पर वस्तुथी परिणम्यो, एटले यथी एक मेक थयो ज्ञानने माने बे. पण ज्ञानने था स्मारूप जाणे नहीं; एवी मिथ्या दृष्टिनी दोर बे. हवे तेने जैनमती स्याद्वादी कहे बे, अहो ! नाई ! जेटला आकाश क्षेत्रमां जीव सत्ता बे तेटलाज प्रमाण ज्ञान डे. अने ज्ञान ते घटपटादिक ज्ञेय पदार्थथी अव्यापक बे एज जगत्ना मस्तके मुगट समान बे. जो पण ए ज्ञाननी प्रजामां नाना प्रकारना ज्ञेय पदार्थ प्रतिबिंबित थई रह्याबे, तोपण ज्ञाननी स्थिति जूदीज बे. छाने ज्ञेयनी स्थिति पण जुदीज बे. ज्ञाननुंठेकाणुं श्रात्मा बे ते पण जुदोज बे, अने ज्ञेयना पृथिवी प्रमुख जे वे काणा बे ते पण जुदांज बे ॥ ७ ॥
वे मो नय नास्तिकवादी एम कहे बे के वस्तु नथी एज एकांत नय बे. तेनो प्रपंच कही देखाडे बे:- श्रथ श्रष्टम नास्तिकवादी वस्तु नास्ति यह कथन:॥ सवैया इकतीसाः ॥ कोउ शुन्यवादी कड़े ज्ञेयके विनास होत, ज्ञानको विना श दो कहो केसे जीजिये; ताते जीवितव्यताकी थिरता निमित्त अब, याकार प रिनामनिको नास कीजिये; सत्यवादी कहे जैया ढूंजे नांही पेदखिन, यसों विर
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