________________
४०
। [जैन आगम : एक परिचय रचनाशैली- इस आगम की रचना प्रश्नोत्तर शैली में हुई है। गणधर गौतम प्रश्न करते है और भगवान महावीर समाधान देते हैं।
विषयवस्तु- इसमें ३६ विषयों का निर्देश है, इसलिए ३६ पद हैं । सम्पूर्ण आगम का श्लोक प्रमाण ७८८७ है । प्रक्षिप्त गाथाओं के अतिरिक्त कुल गाथाएँ २३२ और शेष गद्य भाग है । इसमें जीवों की विचारणा की गयी है। गति, इन्द्रिय, काय, योग आदि सभी दृष्टियों से जीवों पर विचार किया गया है। नारक से लेकर २४ दण्डकों के जीवों की चर्चा है।
विशेषताएँ- प्रज्ञापना (पन्नवणा) में साहित्य, धर्म, इतिहास, भूगोल आदि अनेक विषयों पर महत्वपूर्ण चिन्तन है। भाषा में आलंकारिकता कम है किन्तु जैन पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग विशेष रूप से हुआ है।
(५) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति- यह पाँचवाँ उपांग है। इसके सात वक्षस्कार है। उपलब्ध मूल पाठ ४१४६ श्लोक प्रमाण हैं। १७८ गद्य-सूत्र हैं और ५२ पद्य-सूत्र हैं।
विषयवस्तु- प्रथम वक्षस्कार में भरतक्षेत्र का वर्णन है । दूसरे में काल का निरूपण है। यहाँ भगवान ऋषभदेव का भी वर्णन है। तीसरे में भरत चक्रवर्ती का विस्तृत वर्णन है। चौथे में चुल्लहिमवंत का वर्णन है। पाँचवें में जिन-जन्माभिषेक का वर्णन है। छठे में जम्बूद्वीपगत पदार्थ संग्रह का उल्लेख हुआ है । सातवें में ज्योतिष्क का विवरण है। यहाँ सूर्य-चन्द्र की गति, दिन-रात्रि होने के कारण और उनका मान आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।
महत्व- प्राचीन भूगोल, खगोल और सृष्टिविद्या एवं ज्योतिष्क
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org