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________________ २९ . जैन आगम : एक परिचय] लेने की प्रेरणा दी गयी है। छठवाँ अध्ययन वीरस्तुति है। इसमें गणधर सुधर्मा भगवान महावीर के विभिन्न गुणों का वर्णन करते हुए भाव-विभोर होकर उनकी स्तुति करते हैं। ___ सातवाँ अध्ययन कुशील परिभाषा है। इसमें शील, अशील और कुशील का वर्णन है। छहों प्रकार के जीवों की हिंसा से विरत होने की प्रेरणा दी गयी है। __आठवाँ अध्ययन वीर्य है। इसमें पण्डित और बालवीर्य का वर्णन करके पण्डितवीर्य को मुक्ति का कारण बताया गया है। नवाँ अध्ययन धर्म है। इसमें भगवान महावीर द्वारा बताये गये धर्म का निरूपण है। दसवाँ अध्ययन समाधि है । इसमें भाव, श्रुत, दर्शन, आचारचार प्रकार की समाधि का वर्णन किया गया है। ग्यारहवाँ अध्ययन मार्ग है। इसमें भावमार्ग-मोक्षमार्ग का निरूपण है। बारहवाँ अध्ययन समवसरण है। इसमें चार वादों के समवसरण का उल्लेख है। तेरहवाँ अध्ययन याथातथ्य है। इसमें याथातथ्य धर्म का पालन करने की प्रेरणा है। चौदहवाँ अध्ययन ग्रन्थ है । इसमें नवदीक्षित साधक को गुरु के सान्निध्य में रहने के लाभों का वर्णन है। पन्द्रहवाँ अध्ययन आदानीय अथवा आदान है। इसमें संयम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002151
Book TitleAgam ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, History, & agam_related_other_literature
File Size1 MB
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