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________________ २५ " जैन आगम : एक परिचय] विषय-वस्तु- जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि आचारांग सूत्र दो श्रुतस्कन्धों में विभक्त है । इसके प्रथम श्रुतस्कन्ध में ९अध्ययन हैं । इन नौ अध्ययनों का सम्मिलित नाम 'नव ब्रह्मचर्य' भी है। - प्रथम श्रुतस्कन्ध के प्रथम अध्ययन का नाम शस्त्रपरिज्ञा है। इसमें बताया गया है कि शस्त्र (हिंसा) एक से बढ़कर एक हैं, लेकिन अशस्त्र (अहिंसा) एक ही है और वह सर्वोत्तम है। इसलिए साधक को द्रव्य-भाव से शस्त्र से दूर रहना चाहिए। प्रथम अध्ययन के सात उद्देशक हैं। प्रथम उद्देशक में समुच्चय रूप से जीव हिंसा न करने का उपदेश है। शेष ६ उद्देशकों में क्रमशः पृथ्वी, जल, अग्नि, वनस्पति, त्रस और वायुकाय के जीवों का वर्णन करके किसी को भी पीड़ा न देने का उपदेश है। द्वितीय अध्ययन का नाम लोगविजय है। इसके ६ उद्देशक हैं । इसका प्रमुख उद्देश्य वैराग्यभाव की वृद्धि करना और भावलोक (कषायलोक) की विजय करने की प्रेरणा देना है। तृतीय अध्ययन का नाम शीतोष्णीय है । इसके चार उद्देशक हैं। इसमें विविध परीषहों को समताभाव से सहन करने की प्रेरणा दी गयी है। चतुर्थ अध्ययन का नाम सम्यक्त्व है। इसके चार उद्देशक हैं। इसमें अहिंसा की स्थापना करके सम्यक्त्ववाद का प्ररूपण किया गया है। पाँचवें अध्ययन का नाम लोकसार है। इसके ६ उद्देशक हैं। इसमें लोक का सारभूत तत्त्व धर्म, और धर्म का सार ज्ञान बताया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002151
Book TitleAgam ek Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, History, & agam_related_other_literature
File Size1 MB
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