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________________ स्थापित कर लिया। खरदूषण रावण की बहन चन्द्रनखा का हरण कर ले गया, पीछे रावण ने अपनी इस बहन का विवाह खरदूषण के साथ कर दिया और पाताल लंका का राज्य भी उसी को दे दिया। ___ वानरवंश के प्रभावशाली शासक बालि ने संसार से विरक्त होकर अपने लघु भाई सग्रीव को राज्य दे दिगम्बर दीक्षा ग्रहण कर ली और कैलास पर्वत पर तपस्या करने लगा। रावण को अपने बल-पौरुष का बड़ा अभिमान था, अतः वह बालि पर क्रुद्ध हो कैलास पर्वत को उठाने लगा। इस पर्वत पर बने हुए जिनालय सुरक्षित रहें, इसलिए बालि ने अपने अंगूठे के जोर से कैलास पर्वत को दबा दिया, जिससे रावण को महान कष्ट हुआ। अनन्तर बालि ने रावण को छोड़ दिया और स्वयं तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया। अयोध्या में भगवान ऋषभदेव के वंश में समयानुसार अनेक राजा हुए, सबने प्रवज्या ग्रहण कर तपस्या की और मोक्षपद पाया। इस वंश के राजा रघु को अरण्य नामक पुत्र हुआ, इसकी रानी का नाम पृथ्वीमति था। इस दम्पति को दो पुत्र हुए-- अनन्तरय और दशरथ। राजा अरण्य अपने बड़े पुत्र सहित संसार से विरक्त हो तपश्चरण करने चला गया तथा अयोध्या का शासनभार दशरथ को मिला। एक दिन दशरथ को सभा में नारद ऋषि आये, उन्होंने कहा कि रावण ने किसी निमित्त ज्ञानी न लिया है कि दशरथ-पत्र और जनक-पुत्री के निमित्त से उसकी मत्य होगी। अतः उसने विभीषण को आप दोनों को मारने के लिये नियुक्त कर दिया है, आप सावधान होकर कहीं छिप जायें। राजा दशरथ अपनी रक्षा के लिये देश-देशान्तर में गये और मार्ग में कैकयी से विवाह किया। इनकी तीन रानियां थी--अपराजिता, सुमित्रा और कैकेयो। महाराज दशरथ युद्ध में कुशलता दिखलाने के कारण के कयी को एक वरदान भी देते हैं। कुछ समय पश्चात् कौशल्या एक पुत्र को जन्म देती है। उसका मुख पद्म जैसा सुन्दर होने के कारण उसका नाम पद्म या राम रखा जाता है। सुमित्रा को लक्ष्मण और के केयी को भरत और शत्रुघ्न, ये दो पुत्र उत्पन्न हुए। एक बार राम जनक को अर्ध-बर्बरों के आक्रमण से बचाते हैं, इसी कारण जनक अपनी औरस पुत्री सीता का संबंध राम के साथ तय करते हैं। जनक-पुत्र भामण्डल को, जिसे जन्म होते ही चन्द्रगति विद्याधर हरण कर ले गया था, युवा होने पर अज्ञानतावश सीता से मोह उत्पन्न हो जाता है। चन्द्रगति जनक से भामण्डल के लिए सीता की याचना करता है। जनक असमंजस में पड़ जाते हैं और सीता-स्वयंवर में धनुषयज्ञ रचते हैं। सीता के साथ राम का विवाह हो जाता है। दशरथ राम को राज्य देकर भरत सहित दीक्षा धारण करना चाहते हैं। कैकेयी वरदानस्वरूप दशरथ से भरत के राज्याभिषेक की याचना करती है। दशरथ भरत को राज्य देने के लिये तैयार हो जाते हैं। भरत के द्वारा आनाकानी करने पर भी राम उन्हें स्वयं समझाकर राज्याधिकारी बनाते हैं। दशरथ प्रवज्या धारण करते हैं और राम, लक्ष्मण तथा सीता सहित वन चले जाते हैं। सीता हरण हो जाने पर राम ने वानरवंशी विद्याधर पवनंजय और अंजनो के पुत्र हनुमान एवं सुग्रीव से मित्रता की। राम ने सुग्रीव के शत्रु विट-सुप्रीव को पराजित कर वानर वंशी सुग्रीव को स्नेहाधीन कर लिया और इन्हीं के साहाय्य से लक्ष्मण ने रावण का बध किया। सीता को साथ लेकर राम लक्ष्मग के सहित अयोध्या लौट आते हैं। ___ अयोध्या लौटने पर कैकयी और भरत दीक्षा धारण करते हैं। राम स्वयं राजा न बनकर लक्ष्मण को राज-पाट देते हैं। कुछ समय पश्चात् सीता गर्भवती होती है, परन्तु लोकापवाद के कारण राम उसका निर्वासन करते हैं। पुण्डरीक पुर का राजा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002143
Book TitleHaribhadra ke Prakrit Katha Sahitya ka Aalochanatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
Publication Year1965
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size22 MB
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