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श्रीकंठ शिवाचार्यइन्होंने 'शिव विशिष्टाद्वैतमत की स्थापना की। इनका समय यद्यपि सुनिश्चित नहीं तथापि ईसा की पंद्रवीं सदी में इनके होने का अनुमान ऐतिहासिकों ने बांधा है।
वल्लभाचार्य--- - शुद्धाद्वैत मत के संस्थापक श्री बल्लभाचार्य का समय वि०
की सोलहवीं सदी माना जाता है। इनका जन्म सं० १५३५ और स्वर्गवास १५८६ में हुआ। ब्रह्मसूत्र पर अणु भाष्य नाम का ग्रन्थ इन्हीं का रचा हुआ है । ये तैलंग ब्राह्मण थे ४ ।
विज्ञानभितु--- विक्रम को सत्रहवीं शताब्दी में हुए हैं। ब्रह्मसूत्रों पर इनके लिखे हुए विज्ञानामृत भाष्य का परिचय हम प्रस्तुत निबंध में दे चुके हैं। इसके अलावा वर्तमान सांख्य सूत्रों पर इनका बनाया हुआ सांख्य प्रवचन भाष्य भी है तथा पातखल भाष्य पर इन्होंने एक वार्तिक भी लिखा है। इन ग्रंथों के अवलोकन से जान पड़ता है कि ये अच्छे दार्शनिक विद्वान थे। ..
विद्यारण्य स्वामी-- यह महात्मा सर्व शास्त्रों के प्रौढ़ विद्वान थे। इनका पञ्चदशी नाम का प्रकरण ग्रंथ वेदान्त शास्त्र में प्रवेश करने के लिये एक उत्तम सोपान रूप है। इसके अलावा शंकर दिग्विजय, विवरण प्रमेयसंग्रह और जीवनमुक्तिविवेक आदि ग्रंथ भी इन्हीं के रचे हुए हैं। इनका दूसरा नाम माधवाचार्य भी कहा जाता है । यह महात्मा विक्रम की चौदहवीं शताब्दी में हुए हैं।
x देखो हिं० त० इतिहास पृ० २५८ उत्तगई ।
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