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प्रस्तुत निबन्ध में प्रमाण रूप से गृहीत हुए ग्रन्थों के निर्माताओं के समय आदि का
संक्षिप्त विवरण
-- -- जैन विद्वान्
उमास्वातिजैन साहित्य में दार्शनिक पद्धति का सूत्रपात इन्होंने ही किया है। इनके लिये जैनधर्म की श्वेताम्बर दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों के हृदय में समान आदर है । अतएव इनके बनाये हुए तत्वार्थ सूत्र पर दोनों ही पक्ष के विद्वानों ने अनेक महत्त्वपूर्ण व्याख्याग्रन्थ लिखे हैं। जैन परम्परा से इनका समय विक्रम की प्रथम शताब्दी माना जाता है परंतु इस विषय में वास्तविक ऐतिहासिक तथ्य क्या है ? उसका अभी तक कोई यथार्थ निर्णय नहीं हुआ।
सिद्धसेन दिवाकरजैन-दार्शनिक साहित्य में इनका वही स्थान है जो वैदिक साहित्य में कुमारिल भट्ट, शङ्कर स्वामी उदयनाचार्य और
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