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[ १० ] हमारा ज्ञान इतिहास के विषय में बहुत ही परिमित है, दूसरे प्रस्तुत निबन्ध का इतिहास के साथ कोई गाढ सम्बन्ध भी नहीं, और दर्शनों के नाम से जो ग्रन्थ आजकल ख्याति में आरहे हैं उनका पौर्वापर्य अभी तक सुनिश्चित नहीं हुआ, एवं उनके रचना काल में भी ऐतिहासिक विद्वानों का अभी तक एकमत नहीं हुआ किन्तु मतभेद ही चला आता है । कई एक विद्वानों का मत है कि इनकी ( दर्शनों की ) रचना महाभारत के बाद में हुई X और सत्यव्रत सामश्रमी आदि पंडितों का विचार है कि दर्शनों का रचना काल महाभारत से बहुत पहिले का है। इसलिये भी हमने उक्त विषय में हस्तक्षेप नहीं किया। तथापि प्रस्तुत निबंध में प्रमाणरूप से उद्धृत किये जाने वाले ग्रन्थों की पृष्ठ वार सूची और उनके कर्ताओं के समय आदि का संक्षिप्त विवरण देकर ऐतिहासिक क्रम की संकलना में कुछ सुगमता प्राप्त करदी है।
इसके अलावा प्रूफ के संशोधन में पूरी सावधानी रखने पर भी अधिकांश में दृष्टि दोष का ही प्राबल्य देखा गया फिर भी कुछ न कुछ अशुद्धियें रह ही गई ! उनके लिये एक शुद्धाशुद्ध विषय सूची साथ में देदी गई है अत: निबन्ध में जहाँ पर कोई वाक्य अशुद्ध प्रतीत हो पाठक उसे सूची से मिला कर शुद्ध करलें । अन्त में पाठकों से हमारा सविनय निवेदन है कि प्रस्तुत निबन्ध में प्रदर्शित किये गये विचारों को वे मध्यस्थ भाव से ही अवलोकन करने की कृपा करें ।
प्रार्थी-हंस।
४ देखो-महाभारत मीमांसा हिन्दी अनुवाद पृ० १४ + देखो-उनका निरुक्तालोचन पृ० ७२ में आगे ।
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