SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन धर्म-दर्शन का साहित्य सिद्ध है। इसके प्रथम अध्ययन 'शस्त्रपरिज्ञा' के सात उद्देशों में हिंसा के साधनों अर्थात शस्त्रों का परिज्ञान कराते हुए उनके परित्याग का उपदेश दिया गया है। जीवविषयक संयम इस अध्ययन का प्रतिपाद्य विषय है। प्रथम उद्देश में जीव का सामान्य निरूपण करके द्वितीयादि उद्देशों में छः जीवनिकायों का क्रमशः वर्णन किया गया है। प्रत्येक उद्देश में यह प्रतिपादित किया गया है कि जीववध से कर्मों का बन्ध होता है अतएव विरति ही कर्तव्य है। 'लोकविजय' नामक द्वितीय अध्ययन छः उद्देशों में विभक्त है । इसका प्रतिपाद्य विषय लोक का बन्धन एवं उसका घात है। इसके छः उद्देशों का अर्थाधिकार अर्थात् प्रतिपाद्य विषय क्रमशः इस प्रकार है : १. स्वजनों में आसक्ति का परित्याग, २. संयम में शिथिलता का परित्याग ३. मान और अर्थ में सारदृष्टि का परित्याग, ४. भोग में आसक्ति का परित्याग, ५. लोक के आश्रय से संयम-निर्वाह और ६. लोक में ममत्व का परित्याग । 'लोकविजय' का शब्दार्थ है कषाय-रूप भावलोक का औपशमिकादि भावों द्वारा निरसन। 'शीतोष्णीय' नामक तृतीय अध्ययन चार उद्देशों में विभक्त है । सत्कार आदि अनुकूल परीषह 'शीत' तथा अपमान आदि प्रतिकूल परीषह 'उष्ण' कहे जाते हैं। प्रस्तुत अध्ययन में आन्तरिक एवं बाह्य शीत-उष्ण की चर्चा है। इसमें यह बताया गया है कि श्रमण को शीतोष्ण स्पर्श, सुख-दुःख, अनुकूल-प्रतिकूल परीषह, कषाय, कामवासना, शोक-सन्ताप आदि को सहन करना चाहिए तथा सदैव तप-संयमउपशम के लिए उद्यत रहना चाहिए । प्रथम उद्देश में असंयमी का, द्वितीय उद्देश में असंयमी के दुःख का, तृतीय उद्देश में केवल कष्ट उठानेवाले श्रमण का एवं चतुर्थ उद्देश में कषाय के वमन का वर्णन है । 'सम्यक्त्व' नामक चतुर्थ अध्ययन भी चार उद्देशों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002139
Book TitleJain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherMutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
Publication Year1999
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy