SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २० जैन धर्म-दर्शन ३. दिगम्बर मतानुसार बिना नग्न हुए मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती । चूँकि स्त्रियाँ नग्न नहीं रह सकतीं अतः उन्हें मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती । श्वेताम्बर मतानुसार मोक्ष प्राप्त करने के लिए नग्नता अनिवार्य नहीं है, अतः स्त्रियाँ भी मोक्ष प्राप्त कर सकती हैं । ४. दिगम्बर मतानुयायी मानते हैं कि महावीर ने शादी नहीं की थी किन्तु श्वेताम्बर मत के अनुसार महावीर ने शादी की थी और उन्हें एक पुत्री भी थी । ५. दिगम्बर लोग तीर्थ करों की मूर्तियों को किसी भी प्रकार नहीं सजाते लेकिन श्वेताम्बर लोग उन्हें अच्छी तरह सजाते हैं । 1 ये दो प्रमुख सम्प्रदाय अन्य छोटे-छोटे उपसम्प्रदायों में बंटे हुए हैं । श्वेताम्बर सम्प्रदाय के प्रधानतः तीन प्रभेद हैंमूर्तिपूजक, स्थानकवासी और तेरापंथी । दिगम्बर सम्प्रदाय के भी मुख्यत: तीन प्रभेद हैं- बीसपंथी, तेरहपंथी और तारणपंथी । मूर्तिपूजक तीर्थ करों की मूर्तियों की पूजा करते हैं । स्थानक - वासी ( १६वीं शती) मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं करते । तेरापंथी ( १८वीं शती) भी मूर्तिपूजा का समर्थन नहीं करते । अहिंसा के सम्बन्ध में इनका अन्य जैन सम्प्रदायों के साथ कुछ मतभेद है । बीसपंथी मूर्तिपूजा में फल-फूल आदि का प्रयोग करते हैं लेकिन तेरहपंथी केवल निर्जीव वस्तुएँ ही काम में लाते हैं। तारणपंथी ( १६वीं शती) पूजा में मूर्तियों के स्थान पर धार्मिक ग्रन्थों को रखते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002139
Book TitleJain Dharma Darshan Ek Samikshatmak Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherMutha Chhaganlal Memorial Foundation Bangalore
Publication Year1999
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy