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________________ २६२ सं० यक्षी १६ (i) निर्वाणी - खे० (ii) महामानसी - दि० १७ (i) बला - खे० (ii) जया - दि० १९ (i) वैरोट्या - खे० २० (i) नरदत्ता -श्वे ० २२ ( या (ii) अपराजिता - दि० १८ ( 1 ) धारणी ( या काली ) - पद्म श्वे ० (ii) तारावती विजया) - दि० (ii) बहुरूपिणी - दि० २१ (i) गान्धारी ( या मालिनी) - खे० वाहन अम्बिका ( या कुष्माण्डीया आम्रादेवी) - (क) श्वे ० Jain Education International पद्म मयूर मयूर ( या चार गरुड) शूकर भुजा-सं० हंस चार सिंह चार चार या छह हंस ( या चार सिंह) पद्म शरभ भद्रासन ( या सिंह) कालानाग चार चार चार चार (ii) चामुण्डा ( या कुसुम- मकर ( या चार या मालिनी) - दि० मर्कट) आठ चार या दो चार या आठ चार आयुध पुस्तक, उत्पल, कमण्डलु, पद्म ( या वरदमुद्रा ) फल, सर्प (या इढ़ि या खड्ग ? ), चक्र, वरदमुद्रा बाण, धनुष, वज्र, चक्र (अपराजितपुच्छा) बीजपूरक, शूल ( या त्रिशूल), मुषुण्ठि ( या पद्म), पद्म शंख, खड्ग, चक्र, वरदमुद्रा वज्र, चक्र, पाश, अंकुश, फल, वरदमुद्रा (अपराजित पृच्छा ) मातुलिंग, उत्पल, पाश (या पद्म ), अक्षसूत्र सर्प, वज्र, मृग (या चक्र), (या फल) वरदमुद्रा वरदमुद्रा, अक्षसूत्र, मातुलिंग, शक्ति फल, खड्ग, खेटक, वरदमुद्रा वरदमुद्रा, अक्षसूत्र, बीजपूरक, कुम्भ ( या शूल या त्रिशूल ) खेटक, खड्ग, फल, वरदमुद्रा खड्ग, खेटक (अपराजितपृच्छा ) वरदमुद्रा, खड्ग, बीजपूरक, कुम्भ ( या शूल या फलक ) अक्षमाला, वज्र, परशु, नकुल, वरदमातुलिंग मुद्रा, खड्ग, खेटक, (देवतामूर्तिप्रकरण) दण्ड, खेटक, अक्षमाला, खड्ग शूल, खड्ग, मुद्गर, पाश, वज्र, चक्र, डमरु, अक्षमाला (अपराजित पृच्छा) मातुलिंग ( या आम्रलुम्बि), पाश, पुत्र, अंकुश For Private & Personal Use Only [ जैन प्रतिमाविज्ञान अन्य लक्षण : एक पुत्र समीप ही निरूपित होगा www.jainelibrary.org
SR No.002137
Book TitleJain Pratimavigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaruti Nandan Prasad Tiwari
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size13 MB
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