SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८ [ जन प्रतिमाविज्ञान की आकृति के ऊपर द्विभुज गोमुख यक्ष की मूर्ति है, जिसके ऊपर तीन सपंफणों के छपवाली पद्मावती यक्षी आमूर्तित है। मूर्ति के बायें छोर पर गरुडवाहना चक्रेश्वरी एवं अम्बिका की मूर्तियां हैं। पारम्परिक यक्ष-यक्षी के स्थान पर गोमुख यक्ष एवं चक्रेश्वरी, अम्बिका, पद्मावती यक्षियों और क्षेत्रपाल के चित्रण इस मूर्ति की दुर्लभ विशेषताएं हैं। ल० दसवीं शती ई० की एक ध्यानस्थ मूर्ति पुरातत्व संग्रहालय, मथुरा (१२.२५९) में है। देवगढ़ में दसवीं से बारहवीं शती ई० के मध्य की नौ मूर्तियां हैं। पांच उदाहरणों में महावीर ध्यानमुद्रा में विराजमान हैं । सिंह लांछन सभी में उत्कीर्ण हैं पर यक्ष-यक्षी केवल आठ ही उदाहरणों में निरूपित हैं।' छह उदाहरणों में यक्ष-यक्षी द्विभुज और सामान्य लक्षणों वाले हैं। मन्दिर १ की दसवीं शती ई० की ध्यानस्थ मूर्ति में यक्ष द्विभुज है और यक्षी चतुर्भुजा है । मन्दिर ११ की १०४८ ई० की एक ध्यानस्थ मूर्ति में यक्ष चतुर्भुज और यक्षी द्विभुजा हैं। तीन सर्पफणों की छत्रावली से युक्त यक्षी के हाथों में फल एवं बालक हैं। इस मूर्ति में अम्बिका एवं पद्मावती यक्षियों की विशेषताएं संयुक्त रूप से प्रदर्शित हैं। परिकर में १४ जिन मूर्तियां और मूलनायक के कन्धों पर जटाएं प्रदर्शित हैं। मन्दिर ३ और मन्दिर २० की दो अन्य मूर्तियों में भी जटाएं प्रदर्शित हैं । मन्दिर १ की मूर्ति के परिकर में १०, मन्दिर ४ की मूर्ति में ४, मन्दिर ३ की मूर्ति में ८, मन्दिर २ की मूर्ति में २, मन्दिर १२ को पश्चिमी चहारदीवारी की मूर्ति में १५ और मन्दिर २० की मूर्ति में २ छोटी जिन मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। मन्दिर १२ के समीप भी यक्ष-यक्षी से युक्त महावीर की एक ध्यानस्थ मूर्ति (११ वीं शती ई०) है (चित्र ३८)। ग्यारसपुर के मालादेवी मन्दिर के गर्भगृह की दक्षिणी मित्ति पर दसवीं शती ई० की एक ध्यानस्थ मूर्ति है । सिंहासन के मध्य में लांछन और छोरों पर द्विभुज यक्ष-यक्षी निरूपित हैं। खजुराहो में दसवीं से बारहवीं शती ई० के मध्य की नौ महावीर मूर्तियां हैं । आठ उदाहरणों में महावीर ध्यानमुद्रा में विराजमान हैं। लांछन सभी में उत्कीर्ण है पर यक्ष-यक्षी केवल छह उदाहरणों में निरूपित हैं।२ महावीर के यक्षयक्षी के निरूपण में सर्वानुभूति एवं अम्बिका का प्रभाव परिलक्षित होता है। यक्ष और यक्षी दोनों के साथ वाहन सिंह है, जो महावीर के सिंह लांछन से प्रभावित है। पार्श्वनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दक्षिणी मित्ति की मूर्ति में द्विभुज यक्ष-यक्षी सामान्य लक्षणों वाले हैं । चामरधरों के समीप दो जिन आकृतियां उत्कीर्ण हैं। मन्दिर २ की १०९२ ई० की एक मूर्ति में सिंहासन के मध्य में चतुर्भज सरस्वती (या शान्तिदेवी)3 एवं छोरों पर चतुर्भुज यक्ष-यक्षी निरूपित हैं। मन्दिर २१ की मूर्ति (के २८।१, ११ वीं शती ई०) में यक्षी चतुर्भुजा है । स्थानीय संग्रहालय (के १७) की ग्यारहवीं शती ई० की मूर्ति में सिंहासन के छोरों पर चतुर्भुज यक्ष-यक्षी निरूपित हैं। पुरातात्विक संग्रहालय, खजुराहो (१७३१) की एक मूर्ति (१२ वीं शतीई०) में द्विभुज यक्ष-यक्षी के ऊपर दो खड़ी स्त्रियां बनी हैं जिनकी एक भुजा में सनालपद्म है। स्थानीय संग्र मूर्तियों (के १७ एवं ३८) के परिकर में क्रमशः १४ और २, मन्दिर २ की मूर्ति में २, मन्दिर २१ की मूर्ति (के २८१) में ४, पुरातात्विक संग्रहालय, खजुराहो की मूर्ति (१७३१) में ८, शान्तिनाथ मन्दिर की मूर्ति में २ और मन्दिर ३१ की मूर्ति में १ छोटी जिन आकृतियां उत्कीर्ण हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में सिंह लांछन के साथ ही यक्ष-यक्षी का भी निरूपण लोकप्रिय था। यक्ष-यक्षी का अंकन दसवीं शती ई० में प्रारम्भ हुआ । अधिकांश उदाहरणों में यक्ष-यक्षी सामान्य लक्षणों वाले हैं । बिहार-उड़ीसा-बंगाल-ल० आठवीं शतो ई० को दो ध्यानस्थ मूर्तियां सोनभण्डार की पूर्वी गुफा में उत्कीर्ण हैं। इन मूर्तियों में धर्मचक्र के दोनों ओर सिंह लांछन और पीठिका के छोरों पर दो ध्यानस्थ जिन मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। १ मन्दिर २१ की मूर्ति में यक्ष-यक्षी नहीं उत्कीर्ण हैं। २ मन्दिर १ की दो और मन्दिर ३१ की एक मूर्तियों में यक्ष-यक्षी नहीं उत्कोण हैं। ३ देवी की भुजाओं में वरदमुद्रा, पद्म, पुस्तक एवं कमण्डलु प्रदर्शित हैं। ४ कुरेशी, मुहम्मद हमीद, राजगिर, दिल्ली, १९७०, फलक ७ ख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.002137
Book TitleJain Pratimavigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaruti Nandan Prasad Tiwari
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy