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________________ विषय-सूची पृष्ठ विषय आमुख i-iii संकेत-सूची vii-viii प्रथम अध्याय: प्रस्तावना १-१२ सामान्य १, पूर्वगामी शोधकार्य ३, अध्ययन-स्रोत १०, कार्य-प्रणाली ११ द्वितीय अध्याय : राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि १३-२८ सामान्य १३, आरम्भिक काल १४, पार्श्वनाथ एवं महावीर का युग १४, मौर्ययुग १६, शुंगकुषाण युग १७, गुप्तयुग १९, मध्ययुग २०, गुजरात २२, राजस्थान २४, उत्तर प्रदेश २६, मध्य प्रदेश २६, बिहार-उड़ीसा-बंगाल २७ तृतीय अध्याय : जैन देवकुल का विकास प्रारम्भिक काल २९, चौबीस जिनों की धारणा ३०, शलाकापुरुष ३१, कृष्ण-बलराम ३२, लक्ष्मी ३३, सरस्वती ३३, इन्द्र ३३, नेगमेषी ३४, यक्ष ३४, विद्यादेवियां ३५, लोकपाल ३६, अन्य देवता ३६, परवर्ती काल ३७, देवकुल में वृद्धि और उसका स्वरूप ३७, जिन या तीर्थकर ३८, यक्ष-यक्षी ३८, विद्यादेवियां ४०, राम और कृष्ण ४१, भरत और बाहुबली ४१, जिनों के मातापिता ४२, पंच परमेष्ठि ४२, दिक्पाल ४२, नवग्रह ४३, क्षेत्रपाल ४३, ६४-योगिनियां ४३, शान्तिदेवी ४३, गणेश ४४, ब्रह्मशान्ति यक्ष ४४, कपर्दी यक्ष ४४ चतुर्थ अध्याय : उत्तर भारत के जैन मूर्ति अवशेषों का ऐतिहासिक सर्वेक्षण आरम्भिक काल ४५, मौर्य-शुंगकाल ४५, कुषाण काल ४६, चौसा ४६, मथुरा ४६, आयागपट ४७, जिन मूर्तियां ४७, सरस्वती एवं नगमेषी मूर्तियां ४९, गुप्तकाल ४९, मथुरा ५०, राजगिर ५०, विदिशा ५०, कहोम ५१, वाराणसी ५१, अकोटा ५१, चौसा ५१, गुप्तोत्तर काल ५२, मध्ययुग ५२, गुजरात ५२, कुम्मारिया ५३, तारंगा ५६, राजस्थान ५६, ओसिया ५७, घाणेराव ५९, सादरी ६०, वर्माण ६०, सेवड़ी ६०, नाडोल ६१, नाड्लाई ६१, आबू ६२, जालोर ६५, उत्तर प्रदेश ६६, देवगढ़ ६७, मध्य प्रदेश ७०, ग्यारसपुर ७०, खजुराहो ७२, अन्य स्थल ७५, बिहार ७६, उड़ीसा ७६, बंगाल ७८ पंचम अध्याय: जिन-प्रतिमाविज्ञान ८०-१५३ सामान्य ८०, जिन-मूर्तियों का विकास ८०, गुजरात-राजस्थान ८४, उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश ८४, बिहार-उड़ीसा-बंगाल ८४, ऋषभनाथ ८५, अजितनाथ ९५, सम्भवनाथ ९७, अभिनंदन ९८, सुमतिनाथ ९९, पद्मप्रभ १००, सुपार्श्वनाथ १००, चन्द्रप्रभ १०२, सुविधिनाथ १०४, शीतलनाथ १०४, श्रेयांशनाथ १०५, वासुपूज्य १०५, विमलनाथ १०६, अनन्तनाथ १०७, धर्मनाथ १०७, शान्तिनाथ १०८, कुंथुनाथ ११२, अरनाथ ११३, मल्लिनाथ ११३, मुनिसुव्रत ११४, नमिनाथ ११६, नेमिनाथ ११७, पाश्र्वनाथ १२४, महावीर १३६, द्वितीर्थी-जिन-मूर्तियां १४४, त्रितीर्थी-जिन-मूर्तियां १४६, सर्वतोभद्रिका-जिन-मूर्तियां १४८, चतुर्विंशति-जिन-पट्ट १५२, जिन-समवसरण १५२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002137
Book TitleJain Pratimavigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaruti Nandan Prasad Tiwari
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size13 MB
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