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________________ मल्लराष्ट्र : ६५ लन बराबर गणतांत्रिक ढंग से होता था), अपने सामाजिक और धार्मिक कामों के लिए संस्थागार (सभा-भवन = पंचायत स्थान) का उपयोग करती रहीं इसीलिए सैंथवार नाम से ये लोग प्रसिद्ध हो गये और वह नाम अभीतक प्रचलित है।"१ राहुल सांकृत्यायन ने भी इस मत की पुष्टि करते हुए लिखा है कि आजकल के 'सेंथवार जाति के लोग कूशीनारा (कुशीनगर) के मल्लों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ___ उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट ज्ञात होता है कि मल्लराष्ट्र के मगध साम्राज्य में विलीन होने के पश्चात् भी मल्लों का अस्तित्व बना हुआ है। मल्ल एवं इसकी उपजातियाँ उदाहरण स्वरूप विशेन, सैंथवार आदि गोरखपुर मंडल के देवरिया, गोरखपुर, आजमगढ़, बस्ती आदि जनपदों में बिखरी हुई हैं, जिसका मुख्य केन्द्र देवरिया जनपद का मझौली एवं पडरौना क्षेत्र है। उपर्युक्त अध्ययन से मल्ल राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का आभास होता है । रामायण एवं महाभारत काल में इसकी महत्ता के कारण ही इसका निरन्तर उल्लेख आता है । बुद्धकाल में यह उन्नति के शिखर पर पहुंच चुका था। इसका एक मात्र कारण तीर्थंकर महावीर एवं महात्मा बुद्ध का इस क्षेत्र से अटूट सम्बन्ध रहा है। रामायण काल से बुद्ध काल के समय को मल्ल राष्ट्र के स्वर्णिम युग की संज्ञा से सुशोभित किया जा सकता है । गणतंत्रीय शासन-प्रणाली, संगठित समाज, अग्रजों के प्रति आदर, अनुजों के प्रति स्नेह, महिलाओं के प्रति सम्मान एवं सह-अस्तित्व का यह सशक्त हस्ताक्षर है। यहाँ की आर्थिक सम्पन्नता, धार्मिकसहिष्णुता, साहित्य एवं कला की उन्नति, मल्लों की परिष्कृत अभिरुचि का अनुपम उदाहरण है। उत्थान में ही पतन निहित होता है । मल्ल राष्ट्र भी इससे अछूता नहीं रहा। १. डॉ० पाण्डेय, राजबली-गोरखपुर जनपद और उसकी क्षत्रिय जातियों का इतिहास, पृ० १५२, १५९ ।। २. पं० सांकृत्यायन, राहुल, बुद्धचर्या (हि०), पृ० १६७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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