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________________ मल्लराष्ट्र : ४३ उक्त संवाद से स्पष्ट है कि किसी भी राज्य की स्थायी एवं सुदृढ़ शासन व्यवस्था वहाँ के नागरिकों के सह-अस्तित्व, विधिसम्मत शासन संचालन, परस्पर आदर भाव एवं स्नेह, वृद्धजनों के प्रति श्रद्धा, स्त्रियों के प्रति सम्मान आदि मूलभूत सिद्धान्तों पर निर्भर करती है । संस्थागार : बुद्धकालीन गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली में संस्थागार का प्रमुख महत्त्व रहा है । उस समय के संस्थागार की कार्य-पद्धति की तुलना वर्तमान में संसद से की जा सकती है। संस्थागार में विधि-निर्माण के अतिरिक्त अन्य सामाजिक विषयों पर विचार-विमर्श हेतु बैठकें होती थीं । कभी-कभी वहाँ अतिथियों को भी ठहराया जाता था । इसका गठन भिक्षु संघ के संगठन के आधार पर होता था । संस्थागार की बैठक राजा अथवा उपराजा की अध्यक्षता में होती थी । इसके प्रमुख सदस्यों में राजा - उपराजा, सेनापति, अष्टकुलिक, व्यावहारिक और विनिश्चय महामात्य, भांडारिक ( कोषाध्यक्ष ) सम्मिलित थे । सर्वसम्मति से जब संस्था किसी निर्णय पर नहीं पहुँचती थी, तब निर्णय पर पहुँचने के लिएसम्मति या वोट ( छंद ) का प्राविधान था । छंद ग्रहण के लिए रंगीन शलाकाओं का उपयोग किया जाता था, जिसे छंदशलाका कहा जाता था । संस्थागार में हुए बहुमत के निर्णय को 'पदभूपतिक' कहा जाता था । विचार-विमर्श की कार्यवाही को लिपिबद्ध कर अभिलेख तैयार किया जाता था और इसे लेखागार में सुरक्षित रखा जाता था । कार्यपालिका : संस्थागार विधायी कार्यों का दायित्व वहन करता था तन्निमित कानूनों एवं नियमों के क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व कार्यपालिका का होता था । इसके लिए कार्यकारिणी समिति का गठन होता था, जो दिन-प्रतिदिन शासन का कार्य देखती थी। कार्यकारिणी समिति को 'उद्वाहिका' कहा जाता था । राहुल सांकृत्यायन' के मतानुसार 'उद्वाfear के निर्वाचन हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले को 'अनुश्रावण' कहा जाता था। संघ के किसी भी सदस्य को अधिकरण के विषय में अपने विचार प्रकट करने को पूर्ण स्वतंत्रता थी और सदस्यों को तीन बार यह १. पं० सांकृत्यायन, राहुल, वैशाली का प्रजातन्त्र, वैशाली अभिनन्दन ग्रन्थ, पृष्ठ ४३-४५, वैशाली, विहार, १९८५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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