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________________ साहित्यिक साक्ष्य : २५ जिसे बुद्ध ने अपने अन्तिम समय में ग्रहण किया था । इस प्रसङ्ग में उक्त - ग्रंथ का यह उद्धरण द्रष्टव्य है , सूकरमद्दवं ति नाति तरुणस्स नाति जिष्णस्स एक जेट्ठक सूकरस्स पवत्तमंसं । तं किर मुदुचेव सिनिद्धञ्च होति । तंपटिया पापेत्वा साधुकं पचात्वति अत्थो । एके भणन्ति - " सूकरमद्दवं तिपन मुदु ओदनस्स पञ्च गोरसपूस पाचन विधानस्स नामेतं यथागवपानं नाम पाक नामं ति । केचि भणन्ति - सूकरमद्दवं नाम रसायन विधि । तंपन रसायन सत्थे आगच्छति तं चुन्देन - 'भगवतो परिनिव्वान न भवेप्पा ति रसायनं पटिपत्तं 'ति । तत्थपन द्विसहस्स दीप परि वारेसु चतूसु महादीपेसु देवता - ओजं पक्खिपिसु ॥ मज्झिमनिकाय की अट्ठकथा पपंचसूदनी' के अनुसार निर्वाण के कुछ समय पूर्व तक महावीर नालन्दावासी थे । वे वहाँ से पावा चले आये जहाँ कालगत हुए । नालन्दा में बौद्धों की प्रधानता थी । इसी प्रसङ्ग में किसी के पूछने का उल्लेख है कि महावीर तो नालन्दावासी थे, कैसे कालगत हुए ? और बताया गया है कि सत्यलाभी उपालि गृहपति की दस गाथाओं में बुद्ध के गुणों को सुनकर उन्होंने ( महावीर ने ) गरम खून उगल दिया। बीमारी की हालत में उन्हें पावा ले जाया गया वहाँ वे निर्वाण को प्राप्त हुए । पावा में महान बौद्ध धर्मानुयायी एवं बौद्ध धर्म के प्रचारक स्थविर खण्डसुमन को जन्मस्थली पावा ही थी, जिसकी पुष्टि भरत सिंह उपाध्याय ने की है । बौद्ध साहित्य में पावा के विषय में यह एक और महत्त्वपूर्ण कड़ी जोड़ती है। बुद्ध के महापरिनिर्वाण के लगभग १०० वर्ष पश्चात् वैशाली में द्वितीय संगीति का आयोजन हुआ था, जिसमें भारतवर्ष के विभिन्न स्थानों १. मज्झिम निकाय (अ० कथा) पंपंचसूदनी, सं० डा० टाटिया, नथमल, खण्ड ४, पृ० ३४, नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा, पटना, १७७५ । "ननु अयं नातपुत्तो नालन्दा वासिकौ । सौ कस्मा पावायां कालकत्तोति । सो किर उपालना गाहापत्तिना । पटिवद्ध सच्चेन दसहि गाथाहि भाषिते बुद्ध गुणे सुत्वा उण्ह लौहितं छड़डेसि । अथ नं अफासुकं गत्वा पावां आगमंसु । सो तत्थ कालं अकासि । २. आध्याय, भरत सिंह, बुद्धकालीन भारतीय भूगोल, पृ० ३२२, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, प्र० सं० १९६१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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