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________________ साहित्यिक साक्ष्य : २१ त्यायन' ने भी की है। पालिविवरण के अनुसार मध्यदेश की उत्तरी सीमा पर उशीरध्वज पर्वत अवस्थित था। विमलचरण लाहा ने इसे हरिद्वार के समीप कनखल के उत्तर में उशीरगिरि नामक पर्वत से मिलाया था, इसकी पुष्टि राहुल सांकृत्यायन ने भी की है। इसप्रकार विभिन्न बौद्ध विद्वानों एवं चीनी यात्रियों के मत के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पालित्रिपिटक में उल्लिखित मज्झिमदेश, उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में विन्ध्याचल तक तथा पूर्व में अंग जनपद से लेकर पश्चिम में कुरुराष्ट्र तक फैला था। जातक अट्ठकथाओं के अनुसार मध्यदेश का विस्तार लम्बाई में तीन सौ योजन, चौड़ाई में ढाई सौ योजन और घेरे में ९ सौ योजन है। इसके पश्चात् बौद्ध साहित्य में वर्णित पावा को भौगोलिक स्थिति तथा यहाँ उपलब्ध पावा और महावीर के निर्वाण सम्बन्धी तथ्यों का विवेचन प्रस्तुत करते हैं: सुत्तनिपात" के 'परायणवग्ग' के अनुसार पावा श्रावस्ती से कुशीनगर और कुश नगर से वैशाली आने-जाने वाले मुख्य मार्ग पर स्थित था। सूमंगल-विलासिनी जो पालित्रिपिटक में वर्णित तथ्यों को व्याख्या करती है । इसमें महापरिनिव्वाणसुत्त में वर्णित भगवान् की राजगृह से कुशीनगर यात्रा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसके अनुसार राजगृह से कुशीनगर तक की दूरी ३ गव्यूति ( १२ मील ) बताई गई है (पावा नगर तो तोणि गावतानि कुसीनारा नगर) | ____ मज्झिमनिकाय के 'सामगाम सुत्त से महावीर के निर्वाणोपरान्त १. बुद्धचर्या ( हि० ) पृ० १ व ३७१, महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, द्वि० सं० १९५२ । २. लाहा, विमलचरण, ज्याग्रफी आव अर्ली बुद्धिज्म, पृ० २।.. ३. बुद्धचर्या (हि.), पृ० ५४६ ।। ४. जातक अट्ठकथा ( हि० ), प्र. भा०, पृ० ३९, सं० भिक्षु धर्मरक्षित, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९५१ । ५. सुत्तनिपात-परायणवग्ग ( हि०), पृ० ४३२, महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, १९५१ ई० ।। ६. सूमंगलविलासिनी, दीघनिकाय अट्ठकथा-द्वि० भा०, टीका महेश तिवारी, नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा, पटना १९७४ । ७. मज्झिमनिकाय ( सामगाम सुत्त) ३/१/४, (हि.), पं० सांकृत्यायन, राहुल, महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी, प्र० स० १९३४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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