SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साहित्यिक साक्ष्य : १५ दिगम्बर ग्रन्थ 'कषाय पाहुड' को प्रसिद्ध टीका जयधवला' को गाथा ३०-३१ में भी पावा विषयक वर्णन प्राप्त होता है ___ याच्छा पावाण्येर कतियमासस्स किण्ह चौधसि ॥ जिनसेन शिष्य गुणभद्र' (९वों सदी उत्तरार्ध) कृत उत्तरपुराण में पावापुरी में महावीर के निर्वाण का उल्लेख है। ___ अज्ञातकर्तृक प्राकृत ग्रन्थ (निर्वाण भक्ति) में, जिसे विद्याधर जोहरापुरकर ने प्रभाचन्द्र और आशाधर के काल के मध्य को १२वीं१३वीं शताब्दी की रचना माना है, पावा में महावीर के निर्वाण होने का उल्लेख है। मदनकीर्ति (१३वीं सदी) ने 'शासन चतुस्त्रिशिका में पावा में महावीर की चरण प्रतिमा का इस प्रकार वर्णन किया है। जिनको तिर्यंच भी भक्तिपूर्वक अपनी वाणी से नमस्कार करते हैं और जिनके दोनों चरणों के दर्शन से भव्य जीवगति दुर्गति को नहीं प्राप्त होते एवं पावापुर में जिनके दोनों चरणकमल इन्द्र द्वारा सम्पूजित हैं, वे पापों को नष्ट करने वाले जिनेन्द्र, दिगम्बर शासन की रक्षा करें। काष्ठासंघीय माथुरगच्छ के पुष्करगण के भट्टारक गुणकीति के अनुज एवं महाकवि रइधू के गुरु भट्टारक यश कीर्ति (१४२४-१४२३ के मध्य) १. जयधवला २. इत्यन्ततीर्धनाथोऽपि विहत्य विषयान् बहून् ॥५०८॥ क्रमात् पावापुरं प्राप्य मनोहर वतान्तरे । बहूनां सरसां मध्ये महामणि शिलातले ॥५०९।। स्थित्वा दिनद्वयं वीतविहारो वृद्धनिर्जरः । कृष्णकार्तिक पक्षस्य चतुर्दश्यां निशात्यये ॥५१०॥ स्वातियोगे तृतीयेद्ध शुक्लध्यान परायणः । कृतत्रियोगसंरोधः समुच्छिन्नक्रियं श्रितः ॥५११॥ हताधातिचतुष्कः सन्नशरीरो गुणात्मकः । गन्ता मुनिसहस्रेण निर्वाणं सर्ववाञ्छितम् ।।५१२॥ उत्तरपुराण-गुणसेन ७६/५०८-५१२ ३. अट्ठावयाम्मि उसहो चंपाए वासुपूज्याजिणणाहो । उज्जते णेमिजिणो पावाए णिव्वुदो महावीरो ॥१॥ -निर्वाण भक्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy