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१९८ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
है कि महावीर ने अपने श्रमणों को किसी भी निर्माण के लिये चाहे भिक्षु आवास का प्रश्न क्यों न हो, वर्जित कराया था । जैन भिक्षु अपने लिए निर्मित आवास में ठहर भी नहीं सकता था । भिक्षु के द्वारा किसी भी निर्माण कार्य आदि मे भाग लेना तो दूर उसकी प्रेरणा तक भी प्रायश्चित्त योग्य अपराध मान लिया गया था ।
अत: जैन भिक्षुओं की प्रेरणा के अभाव में महावीर के जीवन से सम्बन्धित स्थलों पर या उनके अस्थि - अवशेषों पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सके । ऐसे स्मृति चिह्नों के अभाव के कारण भविष्य में इन स्थलों की पहचान करना कठिन हो गया ।
दूसरे इन तीर्थस्थानों की यात्राओं का क्रम मुस्लिम आक्रमण के काल में सतत् रूप से बना नहीं रहा जिससे इन स्थलों की सम्यक् पहचान बनी रहती अतः ये स्थल विस्मृति के गर्भ में चले गये । इन स्थलों की विस्मृति का तीसरा कारण यह भी रहा कि जैनधर्म अपने उत्पत्तिस्थल बिहार में क्रमशः विलुप्त होता गया और भारत के सुदूर पश्चिम और दक्षिण भाग में केन्द्रित होता गया और उन स्थलों पर नवीन तीर्थस्थलों की स्थापना हो गयी और कालान्तर में वहाँ मन्दिर आदि भी निर्मित हुए । अतः महावीर की कल्याणक भूमियों के रूप में इन स्थलों के प्रति जैनधर्मानुयायियों की श्रद्धा बने रहते हुए भी उनका जीवन्त सम्पर्क उनसे नहीं रहा । देश की राजनैतिक अस्थिरता समाप्त होने पर लगभग १५ वीं शताब्दी से जब जैनधर्म के तीर्थयात्रियों का इस ओर पुनः आगमन होने लगा तो वे उन स्थलों को यथार्थ रूप में नहीं पहचान सके । मात्र राजगृह एक ऐसा स्थान था जिसकी उन्होंने यथार्थ रूप में पहचान कर ली । फिर उसके आस-पास ही उन्होंने जन्म, दीक्षा, कैवल्य, संघस्थापन और निर्वाण के स्थलों की परिकल्पना कर ली थी । परिणामतः महावीर के जन्म और परिनिर्वाण से सम्बन्धित स्थलों के सम्बन्ध में अनेक भ्रान्तियाँ उत्पन्न हो गयीं । जहाँ तक भगवान् महावीर के जन्मस्थल का प्रश्न है सामान्यतया आज भी उसे दिगम्बर परम्परा में नालन्दा के समीप स्थित कुण्डग्राम में माना जाता है जबकि श्वेताम्बर परम्परा उसे मुंगेर जिला ( बिहार ) के लछुआड़ को उनका जन्मस्थान मानती है । अभी कुछ वर्षों पूर्व पाश्चात्य विद्वानों ने साहित्यिक एवं पुरातात्त्विक आधारों पर वैशाली के निकट स्थित वासुकुण्ड ग्राम को महावीर का जन्मस्थान सिद्ध किया है। महावीर के साथ जुड़ा हुआ वैशालिक विशेषण भी उन्हें वैशाली सम्बन्धित करता है । अतः विद्वद्ववर्ग में वैशाली के निकट
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