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१६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श नागेन्द्र भूतपूर्व कुलपति. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, प्रो० योगेन्द्र मिश्रा पूर्व विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग पटना विश्वविद्यालय, प्रो०
शैलनाथ चतुर्वेदी, पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर, प्रो० मधुसूदन ढाकी, एसोसिएट डाइरेक्टर अमेरिकन इंस्टीच्यूट आफ इण्डियन स्टडीज रामनगर, वाराणसी, डा० आर० सी० शर्मा, निदेशक राष्ट्रीय संग्रहालय कलकत्ता, प्रो० बी० एन० श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग लखनऊ, प्रो० उपेन्द्र नाथ ठाकुर, विभागाध्यक्ष, एशियन स्टडीज एवं प्राचीन इतिहास मगध विश्वविद्यालय बोध गया, डा. विजय बहादुर राय एवं डा० शिवाजी सिंह, प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व विभाग गोरखपुर विश्वविद्यालय, डा० टी० पी० वर्मा प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व विमाग का० हि• वि० वि०, बौद्धभिक्षु बुद्धमित्र जी (संस्थापक श्री राहुल सांकृत्यायन संस्थान) आदि का मैं सदैव हृदय से अनुग्रहीत रहँगा जिन्होंने निरन्तर प्रेरणा देकर मुझे आत्मबल प्रदान किया है तथा जिनके आशीर्वाद एवं अमूल्य सहयोग से इस कार्य को करने में सफल हो पाया हूँ।
मैं श्री प्रेमचन्द सिंह, (हिन्दी विभाग स्नातकोत्तर महाविद्यालय पडरौना ) के प्रति भी उनसे प्राप्त आत्मीयता पूर्ण सहयोग के लिए आभारी हूँ।
श्री राय देवेन्द्र प्रसाद जी जैन अध्यक्ष व आचार्य अनन्त प्रसाद जैन मन्त्री पावा नगर निर्वाण क्षेत्र समिति, गोरखपुर एवं जैन धर्मके मूर्धन्य विद्वान् आदरणीय भंवरलाल जो नाहटा कलकत्ता के प्रति भी मैं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिनसे विचार-विमर्श कर मुझे सोचने, समझने और लिखने की नई दिशा मिली।
मैंने ग्रन्थ लेखन की अवधि में विभिन्न पुस्तकालयों तथा संग्रहालयों, विशेषरूप से राष्ट्रीय संग्रहालय कलकत्ता, डा० के० पी० जायसवाल शोध संस्थान पटना, अमेरिकन इंस्टीच्यट आव इण्डियन स्टडीज रामनगर, एशियाटिक सोसायटी बम्बई, सिन्हा लायब्रेरी पटना, बिहार रिसर्च सोसाइटी पटना एवं पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान वाराणसी, के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने से कैसे विमुख हो सकता हूँ, जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय तथा हर प्रकार से सहयोग प्रदान किया।
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