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________________ १२४ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श क्र० रजिस्ट्रेशन नं० सामग्री सं० १. यू०पी०डी० ओ०ए० - ७७ २. यू०पो०डी० ओ०ए० - ८० ३. यू० पी० डी० ओ० ए० - ७८ “४. यू० पी० डी० ओ० ए० - ७९ Jain Education International पाषाण प्रतिमा सम्भवतः किसी पुरुष की खण्डित अस्पष्ट प्रतिमा, जिसका शीर्ष, ग्रीवा व भुजाएँ पूर्णतया खण्डित हैं, उदर के नीचे का भी समस्त भाग खण्डित है, प्रतिमा घिसी होने के कारण स्पष्ट नहीं है । पाषाण प्रतिमा सम्भवतः किसी पुरुष की अस्पष्ट खण्डित प्रतिमा है, जिसका शीर्ष, ग्रीवा, भुजायें व उदर के नीचे का समस्त भाग खण्डित है, प्रतिमा घिसी होने के कारण अस्पष्ट है, पाषाण के दोनों तरफ निर्मित प्रतिमायें अस्पष्ट एवं खण्डित हैं । पाषाण प्रतिमा महावीर स्वामी की आसनस्थ योगमुद्रा में निर्मित प्रतिमा है, जिसमें दोनों हाथ योगमुद्रा में मुड़े हुए पैरों के ऊपर हैं, Tai भुजा का ऊपरी हिस्सा, गर्दन व शीर्ष पूर्णतया खण्डित है, चरण चौकी के नीचे भी, प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं, जो अस्पष्ट हैं। पाषाण प्रतिमा महावीर को आसनस्थ योगमुद्रा में निर्मित प्रतिमा है, जिसमें दोनों हाथ योगमुद्रा में मुड़े हुए पैरों के ऊपर हैं । बायीं भुजा का ऊपरी हिस्सा शीर्ष व गर्दन पूर्णतया खण्डित हैं, पादपीठ के नीचे भी प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं, जो अस्पष्ट हैं । (चित्र सं ० ६ ) For Private & Personal Use Only आकार २३४४९ सेमी ० ३३ x ३५ सेमी ० ३३ x ३५ सेमी ० ४२× ३७ सेमी ० www.jainelibrary.org
SR No.002135
Book TitleMahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwati Prasad Khetan
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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