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परिच्छेद तीन
बृहत्तर भारत
१. नेपाल
नेपाल का दो बार उल्लेख है। सोमदेव ने लिखा है कि नेपाल नरेश कस्तूरी को प्राभृत लेकर यशोधर के दरबार में उपस्थित हुआ।' एक अन्य प्रसंग में नेपाल शैल का उल्लेख है तथा उसी के साथ वहाँ पर कस्तूरी प्राप्त होने के तथ्य का भी उल्लेख है।
२. सिंहल
सिंहल का तीन बार उल्लेख है । यशस्तिलक के उल्लेखों से ज्ञात होता है कि भारत और सिंहल के अटूट सम्बन्ध थे।
३. सुवर्णद्वीप
सुवर्णद्वीप की पहचान सुमात्रा से की जाती है। यशस्तिलक में दो मित्र सुवर्णद्वीप जाते हैं और वहां से अपार धन कमाकर लौटते हैं। यहां की राजपानी शैलेन्द्र थी । एक ताम्रपत्र भी मिला है।
४. विजया
विजया का एक बार उल्लेख है ।६ यशस्तिलक से इसके विषय में विशेष जानकारी प्राप्त नहीं होती।
१. क्षितिप, मृगमदैरेष नेपालपाल :। - पृ. ४७० सं० पू० २. पृ० ५७४, वही ३. सिंहलीषु मुखकमलमकरन्दपानमधुकरः। - पृ० ३४, वही
दूताः केरलचोलसिंहल । - पृ० ४६६, वही
सिंहलमहिलाननतिलकवही । - पृ० १८१, वही ४. श्रा० ७, क. २७ ५. डॉ. अग्रवाल- नागरोप्रचारिणी पत्रिका ( विक्रमांक) ६. विजयाविनीधरस्य विद्याधरविनोदपादपोत्पादक्षौग्यां दक्षिणश्रेण्याम् ।
- पृ० २९२ उत्त०
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