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- यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन .. (१) जिस अण्डे से सूर्य उत्पन्न हुआ था, उसी के एक टुकड़े को हाथ में लेकर ब्रह्मा ने सामवेद के पदों को गाते हुए गजों को उत्पन्न किया।३४
(२) गजों को उत्पत्ति साम से हुई ।३५
(३) अमित बल वाले तथा विशालकाय होने पर भी गजों के शान्त रहने का कारण मुनियों का शाप तथा इन्द्र की प्राज्ञा है।३६ __उक्त बातों का समर्थन पालकाप्य के गजशास्त्र से पूर्णरूपेण हो जाता है। उसमें अंग नरेश के पूछने पर गजोत्पत्ति इस प्रकार बतायी गयी है-'ब्रह्मा ने पहले जल रचा, फिर उसमें वीर्य डाला, वह सोने का अण्डा बन गया, उससे भूत ( पंच भूत ) उत्पन्न हुए, अण्डे का सबसे देदीप्यमान अंश अदिति को दिया, उसने सूर्य को जना। आधे कपाल को दायें हाथ में लेकर सामवेद को गाते हुए गज को उत्पन्न किया ।३७
पालकाप्यचरित्र के प्रसंग में सामगायन नामक महर्षि द्वारा पालकाप्य के जन्म की एक अद्भुत कथा पायी है-सामगायन महर्षि के आश्रम के पास एक बार एक गजयूथ पहुँच गया। रात्रि में महर्षि को स्वप्न में एक सुन्दर यक्षिणी दिखी। महर्षि ने उठकर आश्रम के बाहर जाकर पेशाब किया। एक हथिनी ने वह पी लिया। उसके गर्भ रह गया। वह हथिनी वास्तव में एक कन्या थी, जो मातंग महर्षि के शाप के कारण हथिनी हो गयी थी। उसने पालकाप्य को
३४. यस्माद्भानुरभूत्ततोऽण्डशकलाद्धस्ते धृतादात्मभू
यन्सामपदानि यागणपतेर्वक्त्रानुरूपाकृतीन् ।-पृ. २६६, पू० ३५. सामोद्भवाय शुभलक्षणलक्षिताय ।-१० ३०० ३६. महान्तोऽमी सन्तोऽप्यमितबलसंपन्नवपुषो,
यदेवं तिष्ठन्ति क्षितिपशरणे शाम्तमतयः । तदत्र श्रद्धेयं गजनयबुधैः कारणमिदं,
मुनीन्द्राणां शापः सुरपतिनिदेशश्च नियतम् ॥-पृ० ३०७ ३७. अथ दक्षिणहस्तस्थाकपालादसूजन्मृगम् ।
अभिगायन्नचिन्त्यात्मा सप्तभिस्सामभिविधिः ।।-गजशास्त्र, गजोत्पत्ति, ... सूर्यस्याण्डकपालमादिमुनिभिः संदर्शितं तेजसं, पाणिभ्यां परिगृह्य सप्रणववाक् सव्ये कपाल करे। धृत्वा गायति सप्तधा कमलजे सामानि तेभ्योऽभवन, मत्तास्सप्तमतंगजाः प्रणवतश्चान्योऽष्टधा सम्भवः ॥-वही, पृ० १८, श्लोक २.
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