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का उद्देश्य, यशस्तिलक की मूल प्रेरणा, हिंसा और अहिंसा के द्वन्द्व का निदर्शन, गृहस्थ की चार प्रकार की हिंसा, संकल्पपूर्वक की गयी
हिंसा के दुष्परिणाम और जनमानस की अहिंसा की ओर अभिरुचि । परिच्छेद ३ : यशोधरचरित्र को लोकप्रियता .... ५०-५६
उद्योतन सूरि की कुवलयमाला कहा में प्रभंजन के यशोधरचरित्र का उल्लेख, हरिभद्र सूरि की समराइच्च कहा में यशोधर की कथा, .. सोमदेव का संस्कृत यशस्तिलक, पुष्पदन्त का अपभ्रंश जसहर चरिउ, वादिराजकृत यशोधरचरित्र, वासवसेन का यशोधरचरित्र, वत्सराज का कथा-ग्रन्थ, वासवसेन द्वारा उल्लिखित हरिषेण का काव्य, सकलकीति, सोमकीति, माणिक्य सूरि, पद्मनाभ, पूर्णभद्र तथा क्षमाकल्याण के संस्कृत यशोधरचरित, अज्ञात कवि का यशोधरचरित्र, मल्लिभूषण, ब्रह्म नेमिदत्त तथा पद्मनाथ के ग्रन्थ, श्रुतसागर का संस्कृत यशोधरचरित्र, हेमकुंजर की यशोधर कथा, जन्न कवि का कन्नड़ यशोधरचरित्र, पूर्णदेव, विजयकीति तथा ज्ञानकोति के यशोधरचरित्र, यशोधर चरित्र को चार और पाण्डुलिपियाँ, देवसूरि का यशोधरचरित्र, सोमकीर्ति का हिन्दी यशोधररास, परिहरानन्द, साह लौहट तथा खुशालचन्द्र के यशोधरचरित्र, अजयराज को यशोधर चौपई, गारवदास तथा पन्नालाल का यशोधरचरित्र, अज्ञात कवियों के यशोधर चरित्र, यशोधर जयमाल और यशोधर भाषा, सोमदत्त सूरि तथा लक्ष्मीदास का हिन्दी यशोधरचरित्र, जिनचन्द्र सूरि, देवेन्द्र, लावण्यरत्न तथा मनोहरदास के गुजराती यशोधरचरित्र, ब्रह्मजिनदास, जिनदास तथा विवेकराज का यशोधरदास, अज्ञात कवि की गुजराती यशोधर कथा चतुष्पदी, एक अज्ञात कवि का तमिल यशोधरचरित्र, चन्द्रन वर्णी तथा कवि चन्द्रम का कन्नड़ यशोधरचरित्र, कन्नड़ यशोधरचरित्र को दो और पाण्डुलिपियाँ ।
अध्याय दो : यशस्तिलककालीन सामाजिक जीवन परिच्छेद १ : वर्ण-व्यवस्था और समाज-गठन ... ६०-६६ विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत समाज, वर्णव्यवस्था की श्रौत-स्मार्त मान्यताएँ
और उनका समाज तथा साहित्य पर प्रभाव, चतुर्वर्ण-ब्राह्मण, ब्राह्मण के लिए प्रयुक्त होने वाले विभिन्न शब्द-ब्राह्मण, द्विज, विप्र, भूदेव,
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