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१०.
सुहुमरागो
. सुहुम संपराए
सूक्ष्म सम्पराय
( सुहुमम्हि सम्पराये ) उपसंत कसाय खवगे
उवसंत मोहे
उपशान्त-मोह
उपशान्त ( चारित्र ) मोह ( चारित्रमोह ) क्षपक क्षीणमोह
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खीणमोहे सजोगी केवली
क्षीणमोह सयोगी केवली
जिन
खीणमोह ( छदुमत्थोवेदगो ) जिण केवली सव्वण्हू-सव्वदरिसी ( ज्ञातव्य है कि चूर्णि में ‘सजोगिजिणो' शब्द है मूल में नहीं है ) चूर्णि में योगनिरोध का उल्लेख है
गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण
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