SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम साहित्य और उपासकदशांग १७ (ग) तत्त्वार्थ सूत्रवृत्ति में दिगम्बर मतानुसार आगमों का वर्गीकरण इस प्रकार किया है : अंगप्रविष्ठ ' आचार सूत्रकृत स्थान समवाय व्याख्याप्रज्ञप्ति ज्ञाताधर्मकथा उपासकदशा अन्तकृत् दशा अनुत्तरोपपातिकदशा प्रश्नव्याकरण विपाक दृष्टिवाद । परिकर्म 1 चन्द्रप्रज्ञाप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञाप्ति द्वीपसागरप्रज्ञप्ति व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र Jain Education International आगम I १. तत्त्वार्थ सूत्र - श्रुतसागरीवृत्ति, १/२० २ 1 अंगबाह्य | सामायिक चतुर्विंशति-स्तव वन्दना प्रतिक्रमण वैनयिक कृतिकर्म दशवेकालिक उत्तराध्ययन कल्पव्यवहार कल्पाकल्प महाकल्प पुंडरोक महापुंडरीक अशीतिका | I प्रथमानुयोग पूर्वगत I उत्पाद अग्रायणीय स्थलगता वीर्यानुप्रवाद मायागता अस्तिनास्तिप्रवाद आकाशगता ज्ञान प्रवाद रूपगता For Private & Personal Use Only 1 चूलिका 1 जलगता www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy