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उपासकदशांग : एक परिशीलन अन्य आगमों में भी इसी तरह की बेईमानी का उल्लेख प्राप्त होता है।' (घ) उपभोग
खाद्य-पदार्थ-उपासकदशांगसूत्र में चार प्रकार के भोजन का उल्लेख मिलता है। अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य ।२ भोज्य पदार्थों में काष्ठ पेय, घेवर, खाजे, कलमजाति के चावल, मटर, मूग व उड़द की दाल,' शरद् ऋतु में उत्तम गो-घृत, सब्जियों में बथुआ, लौकी, सुआपालक तथा भिंडी, पालंग-माधुरक का पेय,' आकाश से गिरा हुआ पानी,. कांजी-बड़े तथा खटाई में पड़े मंगदाल के पकौड़े आदि व्यंजनों का प्रचलन था। आनन्द श्रावक ने इनके त्याग का नियम लिया था।" ___ अन्य जैनागमों में भोज्य पदार्थों में दूध, दही, मक्खन, घी, तेल, मधु, मदिरा, गुड़, मांस,'२ राब, भूने हुए गेहूँ से निर्मित खाद्यान्न, श्रीखण्ड आदि का नामोल्लेख प्राप्त होता है।'४ मोदक लोगों का प्रिय मिष्टान्न था ।' ५ व्यञ्जनों में अठारह प्रकार के व्यञ्जनों का उल्लेख मिलता है ।। १. उत्तराध्ययनटीका, ४, पृष्ठ ८१ २. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, १/५८, १/६४ ३. वही, १/३३ ४. वही, १/३४ ५. वही, १/३५ ६. वही, १/३६ ७. वही, १/३७ ८. वही, १/३८ ९. वही, १/३९ १०. वही, १/४१ ११. वही, १/४० १२. आवश्यकचूर्णि, २, पृष्ठ ३१९ १३. बृहत्कल्पभाष्य, २/३४७६ १४. आचारांगसूत्र २/१/४ १५. आवश्यकचूणि, पृष्ठ ३५६ १६. स्थानांगसूत्र, ३/१३५
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