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________________ २०८ उपासक दशांग : एक परिशीलन वाले बहुत से पुरुष बर्तन बनाते थे एवं भोजन और वेतन पर काम करने वाले बहुत से पुरुष बिक्री के काम में लगे थे । ' अन्य जैनागमों में श्रम के लिए भत्ता देने को वेतन कहा है। वेतन रुपये पैसे एवं जिन्सों में दिया जाता था । हिस्सेदार का आधा, चौथाई और मुनाफे का छठां हिस्सा इस तरह विभाजन कर दिया जाता था । ३ लाभ - उपासक दशांगसूत्र में आनन्द श्रावक के प्रसंग में 'वुड्ढी' शब्द का अर्थ ब्याज या लाभ से किया है । कहा है कि आनन्द का चार करोड़ स्वर्ण वृद्धि में प्रवर्तित था । " यान और वाहन - - उपासक दशांगसूत्र से यान और वाहन सम्बन्धी जानकारी भी मिलती है । कोल्लाकससन्निवेश में अनेक उत्तम घोड़े, मदोन्मत्त हाथी, रथसमूह, शिबिका, स्यन्दमानिका, यान, युग्म का जमघट लगा रहता था । आनन्द ने वाहन विधि का परिमाण करते हुए कहा कि मैं पांच सौ वाहन दिग्- यान्त्रिक तथा पांच सौ गृह उपकरणों के सिवाय सब वाहनों का परित्याग करता हूँ ।" एक अन्य प्रसंग में आनन्द ने अपने सेवकों से कहा कि तेज चलने वाले, एक जैसे खुर, पूँछ तथा अनेक रंगों से चित्रित सिंग वाले दो युवा बैलों द्वारा खींचे जाते श्रेष्ठ लक्षणों से युक्त धार्मिक कार्यों के उपयोग में आने वाला यान प्रवर शीघ्र उपस्थित करो । अन्य आगम ग्रन्थों में भी बढ़िया मिलता है, जिनमें घोड़े जोते जाते थे । राजाओं द्वारा किया जाता था । " १. उवासगदसओ - मुनि मधुकर, ७/१८४ २. स्थानांगसूत्र, ३ / २८ ३. उवासगदसाओ - मुनि मधुकर, १/४ ४. वही, १/७ ५. वही, १/२१ ६. वही, १/५९, ७/२०६ ७. आवश्यकचूर्ण, पृष्ठ १८८ ८. राजप्रश्नीय टीका, पृष्ठ ६ Jain Education International किस्म के यानों में रथ का उल्लेख शिविका, स्यन्दमानी का उपयोग For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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