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________________ उपासकदशांग में वर्णित समाज एवं संस्कृति २०७ सुगन्धित द्रव्यों में इलायची, चम्बा, कुंकुम, चन्दन, खस, मरुआ, जूही, मल्लिका, केतकी, अगरु एवं कर्पर का भी उल्लेख आता है।' अन्य पेशेवर व्यक्ति-कोल्लाक सन्निवेश में नट, नर्तक, कलाबाज, पहलवान, मुक्केबाज, वीररस की गाथाएँ गाने वाले, शुभ-अशुभ बताने वाले, तन्तु बजाकर आजीविका करने वाले, तुंब बजाने वाले, ताली बजाने वाले आदि अनेक जनों का निवास था ।२ अन्य आगमों में भी ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख मिलता है जो श्रमिक वर्ग में सम्मिलित नहीं होने पर भी समाज के लिए उपयोगी थे। इनमें चिकित्सक, नैमित्तिक, विदूषक, नट, नर्तक आदि मुख्य हैं। पूंजी-भूमि को छोड़कर अन्य सभी प्रकार का धन पूजी के अन्तर्गत गिना जाता है । आनन्द श्रावक के पास चार करोड़ स्वर्ण खजाने में या जमीन में गाड़कर रखा गया था, जिसके लिये 'निहाण पउत्ती' शब्द प्रयुक्त हुआ है। इसी तरह चार करोड़ व्यापार में और चार करोड़ घर के वैभव में लगा हुआ था। इसी प्रकार की पूंजी अन्य श्रावकों के पास भी थी। __ अन्य आगमों में कहा गया है कि कुछ लोग पूजोपति कहलाते थे। इनके पास पर्याप्त मात्रा में हिरण्य, सुवर्ण, धन-धान्य, बल, वाहन, कोश, रत्न, मणि, मौक्तिक आदि रहते थे। (ख) विभाजन उपार्जित आय को पेशे से सम्बन्धित व्यक्तियों में बाँटने को विभाजन कहा जाता है। वेतन व मजदूरी-पोलासपुर नगर के बाहर आजीविकोपासक सकडालपुत्र के यहां भोजन तथा मजदूरी के रूप में वेतन पर काम करने १. राजप्रश्नीयसूत्र, ३९ २. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर १/७ ३. औपपातिकसूत्र, १, पृष्ठ २ ४. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, १/४, २/९२ ५. वही, ३/१२५,४/१५०, ५/१६५, ७/१८२,८/२३१, ९/२६९, १०/२७३ ६. उत्तराध्ययनसूत्र, ९/४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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