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________________ २०१ उपासकदशांग में वर्णित समाज एवं संस्कृति अपराध – उपासकदशांगसूत्र के अनुसार चोर द्वारा चुराई हुई वस्तु लेना, व्यावसायिक कार्यों में चोरों का उपयोग करना, राज्य-विरुद्ध षडयंत्र करना, कम माप-तौल करना तथा मिलावट करना अपराध है। श्रावकों को इनसे बचने के लिए कहा गया है।' ___ अपराधियों में रिश्वतखोरों, गिरहकटों, बटमारों, चोरों और जबरन चुंगो वसूल करने वाले सम्मिलित होते थे। ___ अन्य आगमों में भी जहाजों को लूटने वाले, स्त्री-पुरुषों का अपहरण करने वाले और सार्थ को मार डालने वाले चोरों का उल्लेख मिलता है ।३ चोरी करने वाले के साथ-साथ चोरी की सलाह देने वाले, चुराई हुई वस्तु को कम मूल्य में खरीदने वाले, चोरों को आश्रय देने वाले को भी चोर माना गया है। युद्ध से सुरक्षा-उस काल में शत्रुसेना को रोकने के लिए परकोटे जैसा सुदृढ़, अवरोधक, शतघ्नी अर्थात् जिसके नीचे सैकड़ों मनुष्य कुचल कर मर जाएं ऐसे आकार से दुर्ग निर्मित होते थे ।५ ये साधन शत्रु-सेना द्वारा आक्रमण किये जाने पर सुरक्षा हेतु बनाये जाते थे। शस्त्र-उपासकदशांगसूत्र में शस्त्रों के रूप में चक्र, गदा, भुशुंडी आदि का उल्लेख प्राप्त होता है। यह भुशुंडी पत्थर फेंकने का एक विशेष शस्त्र था। अन्य ग्रन्थों में मुद्गर भुशुंडो,' हल, गदा, मूसल, तोमर, परशु और शतघ्नी का उल्लेख शस्त्रों के रूप में मिलता है। १. उवासगदसाओ-मुनि मधुकर, १/४७ २. वही, १/७ ३. ज्ञाताधर्मकथा, १८, पृष्ठ २०९ ४. प्रश्नव्याकरणटीका, ३/३२, पृष्ठ ५३ ५. उवासगदसाओ- मुनि मधुकर, १/७ ६. वही, १/७ ७. उत्तराध्ययनटीका, २, पृष्ठ ३४ ८. महाभारत, २/७०/३४ ११ ।। ९. जैन, जगदीशचन्द्र-जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ० १०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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