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________________ प्रस्तुत किया गया है । इस तरह करने का प्रयत्न किया गया है । ( आभार - इस शोध प्रबन्ध को इस रूप में प्रस्तुत करने में विभिन्न प्राचीन एवं अर्वाचीन आचार्यों और लेखकों के ग्रन्थों से सहयोग लिया गया है, अतः उन सबका हृदय से आभारी हूँ । यह शोध-प्रबन्ध डॉ० प्रेम सुमन जैन, अध्यक्ष, जेनविद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया था अतः आदरणीय जैन सा० के प्रति आभार व्यक्त करना अपना कर्तव्य समझता हूँ । ix ) संक्षेप में तत्कालीन संस्कृति को स्पष्ट इस शोध ग्रन्थ का प्रकाशन आगम अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर द्वारा हो रहा है अतः मैं संस्थान एवं उनके पदाधिकारीगण श्रीयुत् गणपतराजजी बोहरा, सरदारमलजी कांकरिया एवं फतहलालजी हिंगर का भी हृदय से आभारी हूँ । संस्थान के मानद निदेशक प्रो० सागरमल जी जैन द्वारा प्रस्तुत शोधप्रबन्ध के प्रकाशन एवं परिष्कार में मुझे जो अमूल्य सुझाव और आत्मीयतापूर्ण प्रोत्साहन मिला, उसके लिए आभार व्यक्त करना मात्र शाब्दिक औपचारिता ही होगी, उनका हृदय से उपकृत हूँ । आदरणीय प्रो० कमलचन्दजी सोगानी, अध्यक्ष, दर्शनविभाग, सुखाडिया विश्वविद्यालय एवं डॉ० देव कोठारी, निदेशक, साहित्य संस्थान ने मुझे जो दिशा-निर्देश और सक्रिय सहयोग दिया है, उसके लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करना मैं अपना दायित्व समझता हूँ । १६ दिसम्बर १९८८ १९, बापना स्ट्रीट उदयपुर - ३१३००१ प्रस्तुत कृति का लेखन कार्य मेरी ज्येष्ठ भगिनी ( सम्प्रति-साध्वी) पूज्या राजश्री जी की प्रेरणा का फल है । इसमें पूज्य पिताश्री जीवनसिंह जी कोठारी, मातुश्री सीतादेवी का आशीर्वाद एवं भाई श्री दिनेश, हेमन्त, विनोद, बहिन पद्मिनी एवं धर्मपत्नी राजकुमारी का आत्मीयतापूर्णं सहयोग रहा है, अतः प्रकाशन की इस बेला में उनका स्मरण हो आना स्वाभाविक है । Jain Education International डॉo सुभाष कोठारी शोध अधिकारी आगम-अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान उदयपुर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002128
Book TitleUpasakdashanga aur uska Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Kothari
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1988
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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