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७२ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन १०. शोतल
शीतल वर्तमान अवसर्पिणी काल के दसवें तीर्थंकर माने गये हैं।' इनके पिता का नाम दृढ़रथ और माता का नाम नन्दा था तथा इनका जन्मस्थान भहिलपुर माना गया है। इनके शरीर की ऊँचाई ९० धनुष
और वर्ण स्वर्णिम बताया गया है । इन्होंने भी अपने जीवन के अन्तिम चरण में संन्यास ग्रहण कर ३ माह की कठिन तपस्या के पश्चात् पीपल वृक्ष के नीचे बोधि-ज्ञान प्राप्त किया तथा सम्मेतशिखर पर निर्वाण प्राप्त किया ।६ इनकी शिष्य सम्पदा में एक लाख साधु और एक लाख २० हजार साध्वियाँ थीं। त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र में इनके दो पूर्वभवों--पद्मोत्तर राजा और प्राणत स्वर्ग में बीस सागर को स्थिति वाले देव के रूप में जन्म ग्रहण करने का उल्लेख है।।
इनका भी उल्लेख अन्य परम्पराओं में देखने को नहीं मिलता है । ११. श्रेयांस
जैनपरम्परा में श्रेयांस को ग्यारहवें तीर्थंकर के रूप में माना गया है। इनका जन्म सिंहपुर के राजा विष्णु के यहाँ हुआ बताया जाता है। इनकी माता विष्णु देवी थीं। इनके शरीर को ऊँचाई ८० धनुष तथा वर्ण स्वर्णिम बताया गया है। इन्होंने २ माह को कठिन तपस्या के बाद तिन्दुक वृक्ष के नीचे बोधि-ज्ञान प्राप्त किया था।११ इनको भी सम्मेत
१. समवायांग गा० १५७, विशेषावश्यकभाष्य, १७५८; १०९१, १११२; - ___आवश्यकनियुक्ति, ३७० । २. समवायांग गा० १५७; आवश्यकनियुक्ति, ३८३, ३८५ ३८८ । ३. वही, गा० ९०; आवश्यकनियुक्ति, ३७९ । ४. आवश्यकनियुक्ति, ३७६ । ५. समवायांग, गा० १५७ । ६. आवश्यकनियुक्ति, ३०७ । २. वही, २५७, २६१ । ८. समवायांग गा० १५७; विशेषावश्यकभाष्य, १७५१, १६६९, १७५८;
आवश्यकनियुक्ति, ३७०, ४२०, १०९२ । ९. समवायांग गा० १५७; आवश्यकनि०, ३८३, ३८५, ३८८ । १०. वही, गा० ८०; आ० नि० ३७९, ३७६ । ११. वही, गा० १५७ ।
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