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________________ ५० : तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन रूप से कोई संकेत नहीं है। इसी प्रकार अंतकद्दशा में यद्यपि महावीर और अरिष्टनेमि के काल के कुछ साधकों के विवरण मिलते हैं। किन्तु इसमें अरिष्टनेमि और कृष्ण सम्बन्धी जो विवरण दिए गये हैं, वे लगभग ५वीं शताब्दी के पश्चात् के ही हैं, क्योंकि अंतकद्दशा की प्राचीन विषयवस्तु, जिसका विवरण स्थानांग में है, कृष्ण से सम्बन्धित किसी विवरण का कोई संकेत नहीं देती है। प्रश्नव्याकरण की वर्तमान विषयवस्तु लगभग ७वीं शताब्दी के आसपास की है । यद्यपि इसमें तोथंकरों के प्रवचन आदि का उल्लेख है, किन्तु स्पष्ट रूप से तीर्थंकरों के सम्बन्ध में कोई भी विवरण प्रस्तुत नहीं करता है। यही स्थिति औपपातिक और विपाकसूत्र की भी है। उपांग आगम साहित्य उपांग साहित्य में राजप्रश्नीयसूत्र में पार्वापत्य केशी का उल्लेख है, किन्तु इसमें २४ तीर्थंकरों की अवधारणा को लेकर विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती है । तीर्थंकरों के जीवनवृत्त को दृष्टि से उपांग साहित्य के जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति को महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है, क्योंकि इसमें अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी के कालचक्र का विवेचन करते हुए, उसमें होने वाले तीर्थंकरों का उल्लेख किया गया है। इसमें द्वितीय और तृतीय वक्षस्कार अर्थात् अध्याय में क्रमशः ऋषभदेव एवं भरत के जोवनवृत्त का भी विस्तृत उल्लेख मिलता है। इसमें ऋषभ के एक वर्ष तक चीवरधारो और बाद में नग्न होने की बात कही गई है। ___उपांग साहित्य के 'वृष्णीदशा' में कृष्ण के परिजनों से सम्बन्धित उल्लेख हैं। किन्तु तीर्थंकर की अवधारणा और तीर्थंकरों के जीवनवृत्तों का इसमें भी अभाव है। मूल आगम ग्रन्थ __मूलसूत्रों में उत्तराध्ययन अपेक्षाकृत प्राचीन माना जाता है, इसमें केवल पार्श्व, महावीर, अरिष्टनेमि और नमि के सम्बन्ध में उल्लेख मिलते हैं । यद्यपि इन उल्लेखों में उनके जीवनवृत्तों की अपेक्षा उनके उपदेशों और मान्यताओं पर हो अधिक बल दिया गया है, तथापि इतना निश्चित है कि उत्तराध्ययन के ये उल्लेख समवायांग की अपेक्षा प्राचीन है। उत्तराध्ययन के २२ वें और २३ वें अध्याय में क्रमशः अरिष्टनेमि आर पार्श्व के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध होती है। उत्तराध्ययन का २२वां रथनेमि नामक अध्याय यद्यपि मलतः रथनेमि और राजीमती (राजुल) के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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