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________________ २.२ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन हिन्दू दर्शन की तरह 'अहं ब्रह्मास्मि' का उद्घोष करते हैं । पैगम्बर को ईश्वर के प्रतिरूप मानने के लिए तार्किक रूप में कहा गया है कि पैगम्बर "मीम" अक्षर से युक्त होने के कारण अहमद (ससीम) है और “मीम" रहित होने पर अहद (असीम) कहलाता है। यहाँ "मोम" को हम माया या आवरण मान सकते हैं। कुछ हदीसों के आधार पर इस्लाम में पूर्णावतार के सदृश पूर्ण-आविर्भाव माना गया है; वहदत से लेकर आजम तक सभी आविर्भावों में वह "खातुम' या 'खासिम" कहा गया है । इससे स्पष्ट है कि इस्लाम में अवतार विरोध की भावना होते हुए. भो ऐसे अनेक तत्त्व मिलते हैं, जिनका हिन्दू अवतारवाद से अत्यधिक साम्य है। दोनों विचारधाराओं में मूलभूत अन्तर केवल इतना हो है कि जहाँ हिन्दू परम्परा स्वयं ईश्वर के अवतरण को स्वीकार करती है वहाँ इस्लाम में यह माना गया है कि अल्लाह या ईश्वर अपने प्रतिनिधि के रूप में पैगम्बर को भेजता है, पैगम्बर अल्लाह का प्रतिनिधि है, स्वयं अल्लाह नहीं । यही पैगम्बर और अवतारवाद का मूलभूत अन्तर है। १५. बुद्ध एवं पैगम्बरवाद ____बौद्ध धर्म के बोधिसत्व की अनन्त करुणा इस्लाम धर्म में भी दिखाई देती है। जिस प्रकार महायान में बुद्ध को महाकरुणा से युक्त माना गया है, उसी प्रकार इस्लाम में अल्लाह को भी अत्यन्त क्षमाशील एवं सृष्टि के प्राणियों के प्रति करुणा से युक्त कहा गया है। अल्लाह के करुणामय रूप को "अलरहमान" कहते हैं। अपने इसी रूप में वह जीवों पर दया करता है । करुणा को दृष्टि से दोनों धर्मों के उपास्य बुद्ध और अल्लाह में साम्य दष्टिगत होता है। शेख शाहबददीन अपनी पुस्तक "दि अवारिफुल मारिफ' में कहते हैं कि पैगम्बर वे हैं जो महायानी बोधि. सत्वों के सदृश निर्वाण प्राप्त करने या सिद्ध होने के बाद जनकल्याण १. सिक्रेट आफ अनलहक, पृ० ७३ : द्रष्टव्य-म०सा० अ०, पृ० २६४ । २. वही, पृ० ८३ : द्रष्टव्य-वही । ३. बौद्ध धर्म दर्शन, पृ० १०६ । ४. स्टडीज इन इस्लामिक मिस्टीसिज्म, पृ० ९९ । उद्धृतः मध्यकालीन साहित्य में अवतारवाद, पृ० २६५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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