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________________ अवतार को अवधारणा : २४७ वध करना है।' गीता में धर्म के पतन का कारण असुरों का उत्थान कहा गया है और धर्म की रक्षा ही मुख्य प्रयोजन है। इस प्रकार गीता में धर्मोत्थान के लिए अवतार को आवश्यक माना गया है ।२ गीता और रामचरितमानस में पुनः साधओं के परित्राण, दुष्टों के विनाश और धर्म की संस्थापना को युग-युग में आवश्यक माना गया है। वैदिक, महाकाव्य और गोता तीनों में ही असुरों का विनाश मूलरूप में उनके अवतार का प्रयोजन रहा है, फिर भी इन पर समय-समय पर सम्प्रदाय विशेष का स्पष्ट प्रभाव प्रदर्शित होता है । वैदिक काल में विष्णु पहले महान् देवता के रूप में थे अन्त में वे उपास्य रूप में ग्रहीत होते गए और इनका सम्बन्ध भक्ति, भक्त और भाव से होता गया, जिसके फलस्वरूप विष्णु या उनके अवतार का मुख्य प्रयोजन अहेतुक अथवा भक्तों के प्रेमवश" या भक्तिवश प्रतीत होता है। इस प्रकार अवतारवाद और भक्ति का समन्वय पुराणों में जगह-जगह देखने को मिलता है | भक्त के निमित्त अवतारवाद की अवधारणा यद्यपि अधिक प्रचलित हुई फिर भी पुराणों में वेद, ब्राह्मण, देवता, पृथ्वो और गोरक्षा को भावना विद्यमान रही है । १. "विप्र धेनु सुरसंत हित लीन्ह मनुज अवतार । असुर मारि थापहि सुरन्ह राखहि निज श्रुति सेतु ॥" जगविस्तारहि विपद जस राम जन्मकर हेतु ॥" -रामचरितमानस । "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहं ॥" -गीता, ४/७ ३. "परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥" -वही, ४/८ "जब जब होई धरम की हानी । बाढहिं असुर अवम अभिमानी। करहि अनीति जाइ नहि बरनी। सीदहिं विप्र धेनु सुत घरनी । तब तब प्रभु धरि विविध सरीरा । हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ॥" -रामचरितमानस । ४. हेतु रहित जग जगु उपकारी । तुम्ह तुम्हार सेवक असुरारी । -वही ५. हरि व्यापक सर्वत्र समाना । प्रेम तें प्रकट होहिं मैं जाना। ६. व्यापक विश्व रूप भगवाना । तेहि धरि देह चरित कृत नाना । सो केवल भगतन हित लागी । परम कृपाल प्रमत अनुरागी ॥ -वही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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