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________________ २०६ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन तुलना वेदान्त के ब्रह्म एवं सम्भोगकाय की ईश्वर से करते हैं।' परन्तु भदन्त शान्तिभिक्षु के अनुसार धर्मकाय और निर्माणकाय साधना एवं विकास की अवस्थायें हैं । बुद्ध का निर्माणकाय नारायण के अनन्त अवतारों के सदृश है । ऐतिहासिक बुद्ध को शक्यसिंह का अवतार या निर्माणकाय कहा है, जो धर्मकाय का अवतरित रूप है। दीपंकर, कश्यप, गौतम बुद्ध, मैत्रेय और अन्य मानुषी बुद्ध निर्माणकार्य के रूप हैं।" सम्भोगकाय के रूप में बुद्ध बोधिसत्वों को उपदेश देते हैं । __ बौद्ध जातकों में उपलब्ध राम कथाओं में बुद्ध को राम का पुनरावतार माना गया है। कामिल बुल्के ने अपनी पुस्तक रामकथा में बुद्ध को राम का अवतार माना है । भदन्त शान्तिभिक्षु बुद्ध को विष्णु का निदोष रूप कहते हैं । विष्णु के समान बद्ध के विराट रूप का उल्लेख “करण्ड व्यूह" में मिलता है। इनको सहस्रबाहु कहा गया है। इनके नेत्रों को सूर्य एवं चन्द्र कहा गया है, ब्रह्मा और अन्य देवता इनके कन्धे और नारायण इनके हृदय हैं। दांतों को सरस्वती एवं इनके अनन्त रोमों से अनन्त बुद्धों की संज्ञा दो गई है। इस प्रकार बुद्ध को विष्णु के सदश माना गया है। महाभारत के दशावतारों में बुद्ध का उल्लेख नहीं मिलता है किन्तु भागवत की तीनों सूचियों में बुद्ध का नाम मिलता है। इसमें बुद्ध को असुरों को मोहित करने एवं उन्हें वेद के विरुद्ध करनेवाला कहा गया १. बौद्ध दर्शन (पं० बलदेव उपाध्याय), पृ०१६५ २. महायान, पृ० ७३ ३. बौद्ध दर्शन, पृ० १६२ ४. इन्ट्रोडक्सन टू तांत्रिक बुद्धिज्म, पृ० १२-१३ : द्रष्टव्य-मध्यकालीन साहित्य में अवतारवाद, पृ० ४४० ५. महायान, पृ० ७४ ६. बौद्ध दर्शन, पृ० १५४-१६५ ७. पालि साहित्य का इतिहास; पृ० २९३ में उद्धृत-दशरथ जातक ४६१ और वेवधम्न जातक ५१३ ८. रामकथा (बुल्के) पृ० १०४ ९. दी बोधिसत्व डाक्टरोन, ४९ और करण्डव्यूह, पृ० ६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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