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२०० : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन
या पृथुवंशी राम का उल्लेख मिलता है सम्भवतः वह जामदग्नेय राम ही रहे होंगे।' श्री के० एम० मुंशी ने 'अथर्ववेद" के एक उद्धरण के आधार पर परशुराम के अवतार का एक प्रयोजन भृगु और हैहयवंशी लोगों के साथ संघर्ष तथा गोरक्षा बताया है।
अवतारत्व का विकास
परशुराम को भी राम-कृष्ण की तरह विष्णु का अंशावतार कहा गया है। कालान्तर में राम-कृष्ण तो पूर्णावतार कहलाये, परन्तु वही तेज एवं वीर्य जब राम के पराक्रम के द्वारा क्षीण हो जाता है तो वे अवतारत्व से च्युत हो जाते हैं । श्री शुकथंकर एवं के० एम० मुंशी का कहना है कि गीता में जिस राम को विभूतियों में ग्रहण किया गया है वे "भार्गव राम" हैं। इससे उनके विष्णु के अवतार होने में सहायता मिलती है । वाल्मीकि रामायण में वे राम की परीक्षा लेते देखे गये हैं।" महाभारत के एक कथानक के अनुसार इन्द्र कार्तवीर्य के पराक्रम से घबराकर विष्णु से उसके वध की प्रार्थना करते हैं। पुनः हैहयराज के इन्द्र पर आक्रमण के कारण इन्द्र विष्णु से मन्त्रणा करते हैं तथा अवतार के निमित्त बदरिकाश्रम की यात्रा करते हैं। महाभारत के 'नारायणीयो पाख्यान' में विष्णु से स्वयं कहलवाया गया है कि मैं त्रेता में भृगकुल में परशुराम रूप में उत्पन्न होकर क्षत्रियों का संहार करूंगा। विष्णुपुराण में परशुराम को कार्तवीर्यार्जुन का वध करने वाला नारायण का अंशावतार कहा गया है। आगे चलकर भागवत में विष्णु के
१. ऋग्वेद १०/११०; १०/१३/१४ २. न्यु इण्डियन एन्टीक्वेरो जी० ६, पृ० २२० : और दो अर्ली आयन्स इन
गुजरात, पृ० ५९ : द्रष्टव्य-मध्यकालीन साहित्य में अवतारवाद, पृ० ४३३ ३. वाल्मीकि रामायण १/७६/११-१२ ४. मध्यकालीन साहित्य में अवतारवाद, पृ० ४३३ ५. वाल्मीकि रामायण १/७६/१२ ६. महाभारत, वनपर्व ११५/१५-१८ ७. वही, शान्तिपर्व ३३९/१७ ८. विष्णुपुराण ४/७/३६
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