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________________ अवतार को अवधारणा : १९७ वाल्मीकि रामायण में वराह का सम्बन्ध विष्णु या राम से बताया गया है। विष्णुपुराणकार ने वराह को प्रजापति का अवतार कहा है। भागवत में वराहावतार का प्रयोजन जल में डूबी हुई पृथ्वी को ऊपर लाना बताया गया है, परन्तु अन्यत्र उसमें लीलावतारों के प्रसंग में वराहावतार का हिरण्याक्ष वध से सम्बन्ध बताया गया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि वराहावतार का मुख्य प्रयोजन जल में डूबी हुई पृथ्वी को ऊपर लाना तथा उसका उद्धार करना है। (४) नृसिंह अवतार नसिंह नाम से ही पश एवं मानव के सम्मिलित रूप का आभास मिलता है। भगवान् विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा एवं उसके दुष्ट पिता हिरण्यकश्प का वध करने के लिए पशु-मानव के संयुक्त नृसिंह रूप में अवतार धारण किया था। वैसे भारोपीय देशों में पशु एवं मानव के संयुक्त रूप में देवताओं का उल्लेख अप्राप्य नहीं है। प्राचीन साहित्य में देवताओं को बल एवं शौर्य की तुलना के लिए सिंह, व्याघ्र आदि नाम विशेषण के रूप में प्रयोग किये गये हैं। कीथ ने अपनी पुस्तक में यजुर्वेद तथा शतपथ ब्राह्मण में प्रयुक्त “पुरुष व्याघ्राय' को नृसिंहावतार का बीज माना है। महाभारत में विष्णु के लिए "पुरुष व्याघ्र" का विशेषण प्रयुक्त हुआ है। ऋग्वेद एवं यजुर्वेद १. वाल्मीकि रामायण ६.१२०.२२ : द्रष्टव्य-मध्यकालीन साहित्य में अवतार वाद, पृ० ४१५ २. विष्णुपुराण १.४.७ ३. भागवत १.३.७; ११.४.१८ ४. वही २.७.१ ५. प्राइमर आफ हिन्दूइज्म में फकुहर ने ईजिप्ट, असीरिया आदि देशों में मैन लोऐन, मैन-वर्ड और मैन फिश आदि रूपों में उपलब्ध देवताओं का उल्लेख किया है । द्रष्टव्य वही, पृ० ४२२ ६. शुक्ल यजुर्वेद १९/९१-९२ में इन्द्र की सिंह आदि से तुलना को गई है। ७. रेलिजन एण्ड फिलोसोफी आफ दी अथर्ववेद एण्ड उपनिषद्, पृ० १९३ तथा यजुर्वेद २९/८ : शतपथ ब्राह्मण १३/२/४/२ : द्रष्टव्य-मध्यकालीन साहित्य अवतारवाद पृ० ४२३ ८. महाभारत वनपर्व १८८/१८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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