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बुद्धत्व को अवधारणा : १६१
(२०) भगवान् शिखी
भगवान् विपश्यो के बाद अनुपम, अद्वितीय, नरश्रेष्ठ शिखी नामक बुद्ध हुए।'
भगवान् शिखी का जन्म अरुणवती नगर के राजा अरुण के यहां हुआ था, इनकी माता का नाम प्रभावती था।
भगवान् शिखी ने भी तीन धर्मसम्मेलनों में धर्मोपदेश दिया था, उन तीनों धर्मसम्मेलनों में सम्मिलित होने वाले भिक्षुओं की संख्या क्रमशः १ लाख, ८० हजार तथा ७० हजार थी।
तत्कालीन बोधिसत्व राजा अरिन्दम ने शास्ता एवं संघ को चीवर, भोजन, हस्तिरत्न एवं अन्यान्य अमूल्य वस्तुएँ प्रदान की। शास्ता ने कहा कि आप इस कल्प से ३१ कल्प के बाद बुद्ध होंगे। ___ भगवान् के दो प्रधान शिष्य अभिभू एवं संभव थे और इनके परिचारक क्षेमंकर थे। इनकी प्रधान शिष्याएँ मखिला और पद्मा थीं। इनको पुण्डरीक वृक्ष के नीचे बोधिलाभ हआ था। इनके ३७ हाथ ऊँचाई वाले शरीर का प्रभाव ३ योजन तक प्रस्फुटित होता था तथा इनकी आयु ३७ हजार वर्ष थी। (२१) भगवान विश्वभू
भगवान् शिखी के पश्चात् उसी कल्प में अतुलनीय एवं लोक में अद्वितीय विश्वभू नामक बुद्ध हुए।२।।
भगवान् विश्वभू का जन्म अनुपम नगर के राजा सुप्रतीत के यहां हुआ था, इनकी माता का नाम यशवती था ।
भगवान् विश्वभू ने भी तीन धर्मसम्मेलनों में धर्मोपदेश दिया था, उन तीनों सम्मेलनों में सम्मिलित होने वाले भिक्षुओं की संख्या क्रमशः ८० लाख, ७० हजार तथा ६० हजार थी।
१. "विपस्सिस्स अपरेन, सम्बुद्धो द्विपदुत्तमो । सिखिव्हयो आसि जिनो, असमो अप्पटिपुग्गलो॥"
-बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० ३५५ २. "तत्थेव मण्डकप्पम्हि, असमो अप्पटिपुग्गलो।।
वेस्सम नाम नामेन, लोके उप्पज्जि नायको ॥" -वही, पृ. ३१२
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