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________________ १५६ तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन (१२) भगवान् सुजात भगवान् सुमेध के पश्चात् मण्डकल्प में सुजात नाम के लोक नायक बुद्ध हुए। वे सिंह के समान मजबूत जबड़ों वाले, वृषभ के समान दृढ़ स्कन्ध वाले, अप्रमेय एवं दुराक्रमणीय थे।' भगवान् सुजात का जन्म सुमंगल नगर के राजा उग्ग्रत के यहाँ हुआ था तथा इनकी माता का नाम प्रभावती था। भगवान् ने अपने तीन शिष्य सम्मेलनों में धर्मोपदेश दिया था, जिनमें क्रमशः ६० हजार, ५० हजार एवं ४० हजार भिक्षु सम्मिलित हुए थे। उस समय के बोधिसत्व चक्रवर्ती राजा ने शास्ता सुजात एवं उनके संघ को सात रत्न एवं ४ महाद्वीप तथा भोजन दान दिया था। तदुपरान्त शास्ता ने कहा कि आप भविष्य में बुद्ध होंगे। भगवान् के दो प्रधान शिष्य सुदर्शन एवं देव थे तथा नारद उपचारक थे। इनकी प्रधान शिष्याएँ नागा और नागसमाला थीं। इनको महावेणु वृक्ष के नीचे बोधिलाभ हुआ था। इनके शरीर की ऊँचाई ५० हाथ और इनकी आयु ९० हजार वर्ष थी। (१३) भगवान् प्रियदर्शी भगवान् सुजात के पश्चात् लोकनायक प्रियदर्शी नामक बुद्ध हुए, वे स्वयंभू, दुराक्रमणीय, अनुपम और महायशस्वी थे । भगवान् सुजात के बाद १८ सौ कल्प बीतने पर एक हो कल्प में तीन बुद्ध-प्रियदर्शी, अर्थदर्शी और धर्मदर्शी हुए। भगवान् प्रियदर्शी का जन्म अनोम नगर के राजा सुदिन्न के यहाँ हुआ था, इनकी माता का नाम चन्द्रा था । भगवान ने अपने तोन धर्म सम्मेलनों में सम्मिलित होने वाले भिक्षुओं को धर्मोपदेश दिया, जिनकी संख्या १० खरब, ९० करोड़ तथा ८० करोड़ थी। १. "तत्थेव मण्डकप्पम्हि, सुजातो नाम नायको । __ सीहहनसभक्सन्धो, अप्पमेय्यो दुरासदो ॥" -बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० २९९ २. "सजातस्स अपरेन, सयम्भू लोक नायको । दुरासदो असमसमो, पियदस्सी महायसो ॥" -बुद्धवंस अट्ठकथा, पृ० ३११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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