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________________ बुद्धत्व को अवधारणा : १४७ संख्या के विकास क्रम की एक झलक देखने को मिलती है । इस भद्र कल्प में सात मानुषी बुद्धों को कल्पना की गई है जिसमें छः पूर्व के तथा सातवें शाक्यमुनि गौतम को लिया गया है । इस प्रकार सात मानुषी बुद्धों में विपश्चेन, शिखी, विश्वभू, कश्यप, क्रकुछन्द, कनकमुनि ( कोनागमन ) एवं शाक्य सिद्ध गौतम विख्यात हैं । कहा जाता है कि इन्हीं सात मानुषी बुद्धों द्वारा बोधिसत्व अपना कार्य सम्पादन करते हैं। आगे चलकर बौद्ध तन्त्र ग्रन्थों में मानुषी बुद्धों से बुद्ध शक्तियों और बोधिसत्वों के निर्माण की बात कही गई है, इनमें यशोधरा और आनन्द ही ऐतिहासिक प्रतीत होते हैं । बुद्धों की संख्या जिस प्रकार हिन्दू एवं जैन परम्परा में क्रमशः अवतारों एवं तीर्थं - करों की संख्या में वृद्धि होती रही है उसी प्रकार बौद्ध परम्परा में बुद्धों की संख्या में वृद्धि होती रही है । सर्वप्रथम दीघनिकाय में गौतम बुद्ध के पूर्व छः बुद्धों का उल्लेख है' और गोतम बुद्ध को सातवाँ बुद्ध कहा गया है १. विपस्सी २. सिखी ३. वेस्सभू ४. ककुसन्ध ५. कोणागमन ६. कस्सप ( काश्यप ) ७. शाक्य पुत्र गौतम दीघनिकाय में महाराज वैश्रवण को भिक्षुओं की रक्षा एवम् उनके कष्ट दूर करने के लिए इन्हीं सात बुद्धों से प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है । विनयपिटक, संयुत्तनिकाय, जातक और थेरीगाथा' में इन्हीं सात बुद्धों का उल्लेख मिलता है । इन सात बुद्धों को मानुषी बुद्ध भी कहा जाता है क्योंकि यही समय-समय पर धर्म की प्रतिष्ठा के लिए आते हैं । ३ १. दीघनिकाय, महापदानसुत्त (१.२.५), पृ० ४ २. पालि प्रापर नेम्स, भाग २, पृ० २९५ ३. बौद्ध धर्म दर्शन ( आचार्य नरेन्द्रदेव ) पू० १२१, १२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002127
Book TitleTirthankar Buddha aur Avtar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshchandra Gupta
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1988
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size14 MB
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